पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की श्रम नीतियों के विरोध में कई ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ।
बंगाल से हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं सामने आईं हैं
बंगाल से हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं सामने आईं हैं। लेकिन ट्रेड यूनियनों ने दावा किया कि हड़ताल सफल रही और बड़ी संख्या में कर्मचारी काम पर नहीं आए, जिससे डाक, बैंकिंग, बीमा और खनन क्षेत्र प्रभावित हुए।राष्ट्रव्यापी हड़ताल कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रही। लेकिन बंगाल के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी कार्यकर्ताओं, पुलिस और तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के बीच झड़प के बाद हिंसा की खबरें आईं।
देश के कई इलाकों में बंद जैसी स्थिति रही
दस ट्रेड यूनियनों के एक मंच ने अपने बयान में कहा कि देश के कई इलाकों, जैसे- पुडुचेरी, असम, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब, केरल, बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, गोवा, मेघालय और मणिपुर आदि में बंद जैसी स्थिति रही। राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में भी आंशिक बंद की खबरें मिलीं। इसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में औद्योगिक एवं सेक्टरों की हड़तालें हुईं।
पिछले वर्ष श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था
उन्होंने चार श्रम संहिताओं, ठेकाकरण व सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपये प्रति माह करने, साथ ही स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के फार्मूले के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों की कर्ज माफी की किसान संगठनों की मांगों के समर्थन में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था। इस मंच ने पिछले वर्ष श्रम मंत्री मनसुख मांडविया को 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा था।