मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
मेजा में होली के दिन सुबह से दोपहर तक जहां रंगों से होली खेली गई वही दोपहर बाद लोग एक दूसरे को अबीर लगाकर गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दी।जैसा कि होली रंगों की मस्ती और हुडदंग का त्यौहार है।इसी क्रम में मेजा तहसील मुख्यालय के पास मेजाख़ास बाजार में एक ऐसी होली खेली जाती है वैसी होली का नजारा शायद ही कही और ही देखने को मिलता हो। ये होली सबसे अनोखी है क्योंकि यहाँ पर खेली जाने वाली होली के रंगों का शुरूर होली खेलने वालो पर कुछ ऐसा सवार होता है कि लोग रंग लगाते लगाते एक दूसरे का कपडा ही फाड़ देते है लेकिन जरा होली की मस्ती देखिये की लोग इसका जरा भी बुरा नहीं मानते और उसके बाद शुरू होता है साउंड की धुनों पर नाचने का सिलसिला जो दोपहर दो बजे तक नानस्टाप चलता रहता है। लोग एक दूसरे के ऊपर रंग और गुलाल की बारिश करते है और ऊपर से चारों और से रंगों की बौछार सोने में सुहागा का काम करती है। ऊपर लटके तारों पर जब नजर आती है तो लोगों के फटे कपडे टंगे नजर आते है और नीचे देखिये तो अर्धनग्न लोगों के ऊपर रंग का शुरूर अपने चरम पर होता है।मेजाखास बाजार स्थित पुराने ट्रांसफार्मर और बरगद पेड़ तक होने वाली ये कपडा फाड़ होली बरसों से होती आ रही है। होली के पहले दिन जहां युवाओं ने रंग और अबीर से जमकर होली खेली। वहीं दूसरे दिन सुबह होते ही कपड़ा फाड़ होली खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। यहां बरसों से होली दो दिन तक मनाई जाती है।एक बात गौर करने वाली बात यह है कि राह चलते किसी भी राहगीर को परेशान नहीं किया जाता है।यही कारण है कि दूर दराज से भी लोग मेजा की ऐतिहासिक होली देखें वालों की भीड़ जमा हो जाती है।यह अलग बात है कि यदि होलिहारों के किसी परिचय का दिख गया तो उसे जरूर होली की याद करा देते हैं।जिसे देखकर लोग होली के आनंद में आनंदित हो उठते हैं।
इसी क्रम में होली के दिन ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों ने जमकर होली खेली जिसमें युवा पुरुष और महिलाएं शामिल हैं पुरानी परंपरा को निभाते हुए युवा भी एक दूसरे के घर जाकर होली का त्यौहार मनाते हैं होली गीत गाते हैं और गुजिया का आनंद उठाते हैं।