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धर्म-आस्था डेस्क
आज शनिवार, 12 मार्च 2022 है। हिंदू धर्म में यूं तो सभी एकादशी व्रत खास माने जाते हैं, लेकिन इनमें से आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी व्रत रखते हैं. हिंदू धर्म में यूं तो सभी एकादशी व्रत खास माने जाते हैं, लेकिन इनमें से आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है. आमलकी एकादशी को आमलक्य एकादशी भी कहते हैं. इस साल आमलकी एकादशी 14 मार्च 2022, सोमवार को है.
*रंगभरी एकादशी तिथि और मुहूर्त*
एकादशी तिथि आरंभ- 13 मार्च, रविवार प्रातः 10: 21 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त- 14 मार्च, सोमवार दोपहर 12:05 मिनट पर
रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त आरंभ- 14 मार्च, दोपहर 12: 07 मिनट से
रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त-14 मार्च, दोपहर 12: 54 मिनट तक
रंगभरी एकादशी उदयातिथि के अनुसार 14 मार्च को मनाई जाएगी.
*रंगभरी एकादशी का महत्व*
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा काशी विश्वनाथ वाराणसी में होती है. इतना ही नहीं, इस दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती के साथ नगर का भ्रमण करते हैं. इस दौरान खूब रंग गुलाल उड़ाया जाता है.
रंगभरी एकादशी पर इस विधि से करें पूजा
रंगभरी एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और फिर व्रत का संकल्प लें.
यदि शिव मंदिर जाना संभव न हो तो घर के ही मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर रखें.
उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं.
अब भगवान शिव और माता पार्वती को फल, बेल पत्र, कुमकुम, रोली, पंच मेवा और अक्षत अर्पित करें.
माता गौरी को सोलह श्रीनगर भी भेंट करें.
इसके बाद भगवान को रंग-गुलाल अर्पित करें.
दीपक और कपूर से आरती उतारें.
भगवान को भोग लगा दें और फिर घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें