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वीवीपैट: संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

 

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प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. पहले से स्थापित प्रथा, प्रक्रिया और कानून के तहत मतगणना होने दीजिए. वे (चुनाव आयोग) फैसले का अनुसरण कर रहे हैं.

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज मतगणना से पहले वीवीपैट सत्यापन की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, क्योंकि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के लिए मतों की गिनती 10 मार्च को निर्धारित है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा मतगणना होने दीजिए
गौरतलब है कि वीवीपैट के सत्यापन के लिए याचिका दाखिल की गयी थी जिसमें यह कहा गया था कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों के बजाय पांच मतदेय स्थलों की वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम के साथ मिलान किया जाये. एक मतदेय स्थल में कई मतदान केंद्र होते हैं. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. पहले से स्थापित प्रथा, प्रक्रिया और कानून के तहत मतगणना होने दीजिए. वे (चुनाव आयोग) फैसले का अनुसरण कर रहे हैं.

*दोपहर से पहले कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दी थी*
दोपहर से पहले खंडपीठ ने अनिच्छापूर्वक याचिका की सुनवाई के लिए सहमति जता दी थी जब याचिकाकर्ता राकेश कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने त्वरित सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया था.
आयोग ने रखा पक्ष तो कोर्ट ने किया सुनवाई से इनकार
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा था कि वह प्रस्तावित सुनवाई के बारे में आयोग को सूचित कर देंगी. लेकिन दोपहर बाद की सुनवाई में आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह पेश हुए और कहा कि वीवीपैट सत्यापन के मामले में आयोग शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप चल रहा है और अधिकारियों को तदनुरूप मतगणना के लिए प्रशिक्षित किया गया है. इसके बाद न्यायालय ने कहा कि वह त्वरित सुनवाई के मसले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और याचिका पर नियमित प्रक्रिया के तहत सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि पांच राज्यों में सात चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती 10 मार्च को होनी है. इससे पहले वीवीपैट सत्यापन के लिए याचिका दाखिल की गयी थी, जिसपर त्वरित सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

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