मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
उत्तर प्रदेश सहित जनपद के ग्रामीण अंचल में सक्रिय राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन के 17 वर्षीय युवा वालंटियर आर्यमित्र पटैरिया को दिल्ली सरकार ने सम्मानित किया है। दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों के छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा व सहायता उपलब्ध कराने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम 'देश के मेंटर' में कक्षा 12 के छात्र आर्यमित्र पटैरिया ने उल्लेखनीय योगदान दिया। इस कार्यक्रम को जहां देश के सफल पेशेवर और आईआईटी व आईआईएम जैसे संस्थानों के वर्तमान व पूर्व छात्र सहयोग दे रहे हैं, वहीं यलो सबमरीन इनिशिएटिव के संस्थापक और डेवलपर आर्यमित्र पटैरिया इनमें सबसे युवा पेशेवर हैं, जिन्हें दिल्ली सरकार ने प्रशंसा पत्र प्रदान किया। आर्यमित्र जनसुनवाई फाउंडेशन के शिक्षा विषयक कार्यक्रमों की कार्यकारी समिति के भी सदस्य हैं। ग्रामीण वंचित परिवारों के बच्चों को निरंतर स्कूलों तक भेजने व संसाधनों और शिक्षा की अबाध उपलब्धता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन द्वारा उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दिल्ली में विगत चार साल से चलाए जा रहे अंतर्राज्यीय अभियानों बाल पंचायत, युवा पंचायत व शिक्षा गुणवत्ता विषयक कार्यक्रम मिशन ए-टू-जेड के नियोजन और क्रियान्वयन में उन्होंने सार्थक योगदान दिया है। आर्यमित्र पटैरिया को संस्था द्वारा भी शिक्षा क्षेत्र में सहभागिता और उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए प्रशंसापत्र प्रदान किया गया है। फाउंडेशन के उत्तर प्रदेश प्रभारी अधिवक्ता कमलेश मिश्र ने बताया कि जनसुनवाई फाउंडेशन ने वर्ष 2016 में अभियान चलाकर सरकार से अपील की थी कि वंचित शालेय छात्रों को मिलने वाली नि:शुल्क गणवेश में जूते-मोजे भी शामिल किए जाएं। इनके अभाव में ग्रामीण बच्चों को कृमि सहित अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। इस सुझाव व अभियान की रूपरेखा तैयार करने में आर्यमित्र पटैरिया का भी विशेष योगदान था। संस्था के इस अभियान और अपील को राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान में लिया गया और बाल संरक्षण आयोग ने केंद्र सरकार को इसकी सिफारिश की। हालांकि मामला राज्य सरकारों के ऊपर छोड़ दिया गया। मिश्र ने कहा कि संस्था इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर विमर्श कर रही है। बाल संरक्षण आयोग को भी सिफारिश लागू न होने की याद दिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि आर्यमित्र का सुझाव है कि यदि सरकार इस पर अमल नहीं करती है तो क्षेत्र के निकटवर्ती प्राइवेट स्कूलों के संपन्न परिवारों के बच्चों और सरकारी स्कूलों के वंचित परिवारों के बच्चों के बीच सहयोग का एक पूल बनाकर इस कमी को पाटा जा सकता है, जिस पर संस्था जागरूकता अभियान छेड़ने की योजना बना चुकी है। छत्तीसगढ़ में इसे अमल में लाया गया है