Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

आशा दशमी व्रत: जानें महत्व, पूजा विधि और लाभ

 

sv news

suraj varta.in
आस्था धर्म डेस्क

आज शनिवार 09 जुलाई 2022 है। आशा दशमी व्रत विशेष रूप से कन्याएं एक अच्छे वर की तलाश में रखती हैं. पति के यात्रा पर जाने और लौट कर न आने की स्थिति में इस व्रत के द्वारा पत्नियां अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है. यह व्रत आज यानी 9 जुलाई को रखा जाएगा.

आशा दशमी व्रत हर साल मनाया जाता है. इस वर्ष यह व्रत आज यानी 9 जुलाई को रखा जाएगा. इस व्रत को रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है.

*आशा दशमी व्रत का महत्त्व*
यह व्रत विशेष रूप से कन्याएं एक अच्छे वर की तलाश में रखती हैं. पति के यात्रा पर जाने और लौट कर न आने की स्थिति में इस व्रत के द्वारा पत्नियां अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है. शिशु की दंत जनिक पीड़ा भी इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाती है. मान्यता है कि हर महीने इस व्रत को तब तक करना चाहिए जब तक कि आपकी मनोकामना पूरी न हो जाए. इस व्रत से मन शुद्ध रहता है और व्यक्ति को असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि कन्या अगर इस व्रत को करे तो श्रेष्ठ वर प्राप्त होती है.अगर किसी स्त्री का पति यात्रा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौटकर नहीं आता है तब सुहागन स्त्री इस व्रत को कर अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है. इस व्रत से संतान प्राप्ति भी होती है.
आशादशमी व्रत विधि
इस व्रत के प्रभाव से राजपुत्र अपना राज्य , किसान खेती , वणिक व्यापार में लाभ , सन्तान हिन् को सन्तान , कन्या श्रेष्ट वर प्राप्त करती हैं. और पति के चिर – प्रवास हो जाने पर स्त्री उसे शीघ्र प्राप्त कर लेती हैं.

आशादशमी व्रत किसी भी मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को किया जाता हैं . इस दिन प्रात:काल स्नान करके देवताओं की पूजा कर रात्रि में पुष्प रोली चन्दन आदि से दस आशादेवियों की पूजा करनी चाहिये . दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धुप – दीप , नैवाध्य ,फल आदि समर्पित करना चाहिये . अपने कार्य की सिद्धि के लिये इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिये –
आशाश्रचशा: सदा सन्तु सिद्धय्नताम मे मनोरथा:

इस मंत्र से करें आराधना
'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा: भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति'. इसका अर्थ ये है कि 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों. मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें.' ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करना चहिए. व्रत पूजा में कार्य सिद्धि के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करें.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad