यूपी के इस जिले में इंस्पेक्टर हुए पसीने-पसीने, ऐसे बन रही लिस्ट
प्रयागराज (राजेश सिंह)। छात्रों ने अचानक चक्का जाम कर दिया तो आपका पहला कदम क्या होगा, बवाल बढ़ा तो क्या करेंगे। कर्नलगंज थाना प्रभारी की प्राथमिकता में क्या होगा, उस इलाके में कौन से अपराध ज्यादा होते हैं। कॉलेज मैनेजमेंट की बातें सुन छात्रों पर लाठी चलाएंगे या फिर छात्रों को मैनेज करेंगे। कुछ ऐसे ही सवाल और गंभीर जवाबों के बाद ही पुलिस स्थापना बोर्ड की मंजूरी के बाद थाना प्रभारी की नियुक्ति की शुरुआत हुई है।
प्रयागराज कमिश्नरेट में थाना प्रभारियों, चौकी प्रभारियों, दरोगाओं समेत अन्य पुलिसकर्मियों की तैनाती और हटाए जाने की संस्तुति को स्थापना बोर्ड का गठन किया गया है। एक तरह से थाना प्रभारी बनने के लिए पहले इंस्पेक्टरों, दरोगाओं का चयन कर सूची तैयार हो रही है। इसके बाद इंटरव्यू होगा। बोर्ड के सदस्य सवाल जवाब करेंगे, सारे पैमाने पर खरा उतरने के बाद ही थाने का चार्ज सौंपा जाएगा। यदि एक भी बोर्ड सदस्य ने आपत्ति जता दी तो इंटरव्यू के लिए आए इंस्पेक्टर और दरोगा को चार्ज नहीं मिलेगा। यह नई व्यवस्था प्रयागराज कमिश्नरेट में तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है।
थाना प्रभारी पद, पुलिस आयुक्त कार्यालय में नियुक्त होने वाले अधिकारी, कर्मचारी, गोपनीय कार्यालय, प्रधान लिपिक, आंकिक, वाचक, अपराध शाखा और कमिश्नरेट प्रयागराज के समस्त अराजपत्रित अधिकारियों के स्थानान्तरण के लिए पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा की तरफ से बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड में पुलिस आयुक्त अध्यक्ष, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त उपाध्यक्ष हैं। जबकि पुलिस उपायुक्त नगर, पुलिस उपायुक्त गंगा नगर, यमुना नगर, अपर पुलिस उपायुक्त कार्यालय सदस्य हैं।
गुरुवार और शुक्रवार को बोर्ड ने तैनाती के संबंध में बैठकें की। थानों का चार्ज पाने वालों की लाइन लंबी थी, लेकिन पैमानों पर खरा न उतर पाने वाले इंस्पेक्टर-दरोगा मायूस लौटते रहे। यहां तक की सीपी ने किसी दरोगा के लिए दलील दी तो अन्य सदस्य ने उस पर वजह बातते हुए आपत्ति जताई तो उसे चार्ज नहीं दिया गया। प्रयागराज कमिश्नरेट में सात निरीक्षक, 22 उपनिरीक्षक की तैनाती इसी बोर्ड की मंजूरी के बाद हुई।