तुम्हारे गांव में बिजली है न पानी... यहां नहीं ब्याहनी अपनी बिटियारानी
प्रयागराज (राजेश सिंह)। जिरातमतन उर्फ नारायणदास का पुरा गांव में शाम होते ही लालटेन जल उठतीं हैं। कंप्यूटर युग के बच्चे उसी की रोशनी में पढ़ते हैं। 20 साल पहले लगे बिजली के खंभे अभी तक ठूंठ-से खड़े हैं। खंभे देखकर जिन लोगों ने पक्के घर बनवा लिए थे, उनमें से कई गांव छोड़ कर जा चुके हैं। नगर निगम की सीमा में आ चुके इस गांव के युवाओं की बदनसीबी यह भी है कि कोई उन्हें अपनी बेटी नहीं देना चाहता। लोग कहते हैं, तुम्हारे गांव में बिजली है न पानी, यहां नहीं ब्याहनी अपनी बिटियारानी।
शहर से सटे होने के बावजूद यह गांव दो दशक से बिजली नहीं होने का दंश झेल रहा है। इसके साइड इफेक्ट का जिक्र करते हुए बुजुर्ग लाल बहादुर यादव कहते हैं, इस जमाने में भी जिस गांव में बिजली न हो, वहां कौन अपनी बेटी की शादी करना चाहेगा। इसी कारण कुंवारे लड़कों का कई बार तय रिश्ता तक छूट गया।
गांव में तकरीबन 400 से 500 की आबादी रहती है। नगर निगम की सीमा विस्तार के बाद इसे वार्ड नंबर-45 में शामिल कर लिया गया है। इसके बाद लगा कि अब कम से कम बिजली-पानी का संकट दूर हो जाएगा। लेकिन, हालात जस के तस हैं। गांव में कुछ लोगों ने बांस-बल्ली के सहारे दूर से बिजली की लाइन खींच ली है। पर, सब ऐसा कहां कर पाएंगे। बाकी लोग तो बस लालटेन युग में ही जीने को मजबूर हैं।
गांव के पीछे की कॉलोनी बिजली से जगमग है। गांव के लोग बताते हैं कि पीछे का इलाका लक्ष्मीनगर है। यहां कई लोगों ने मिलकर निजी ट्रांसफार्मर लगवा रखा है। इस ट्रांसफार्मर से वह किसी को भी सप्लाई नहीं देते हैं। लोग सवाल करते हैं कि जब विभाग वहां तक बिजली पहुंचा सकता है तो जिरातमतन में भी बिजली की सप्लाई किसी न किसी योजना के माध्यम से पहुंचा ही सकता है।
जिरातमतन का आधा हिस्सा शहरी और आधा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में है। शहरी क्षेत्र में विद्युतीकरण का काम हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्र में भी विद्युतीकरण का काम जल्द ही शुरू होगा। अभी विभाग की ओर से रिवैंप योजना के माध्यम से व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। अगले चरण में विद्युतीकरण का कार्य होगा। - अरविंद कुमार, अवर अभियंता, आवास विकास झूंसी उपकेंद्र