प्रयागराज (राजेश सिंह)। खतरे के निशान के ऊपर बह रही गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा है। नैनी यमुना पुल की बात करें तो 1978 के बाद इस पुल पर पहली बार रेल संचालन रोके जाने की बात कही जा रही है। 86 मीटर के ऊपर बह रही यमुना नदी का जलस्तर अगर 87 मीटर पहुंचता है तो नैनी पुल पर रेल संचालन रोका जाना तय है। फिलहाल नैनी यमुना पुल पर ट्रेनों की गति नियंत्रित कर दी गई है।
रेलवे के नैनी यमुना पुल पर अधिकांश ट्रेनें 100 से 110 की रफ्तार से ही निकलती हैं। इस बीच खतरे के निशान के ऊपर बह रही यमुना का जलस्तर 86 मीटर से अधिक हो जाने के बाद नैनी पुल पर ट्रेनों की गति नियंत्रित कर ली गई है। मौजूदा समय नैनी पुल पर ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 45 किमी प्रतिघंटा कर दी गई है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि दिल्ली-हावड़ा रूट के इस महत्वपूर्ण की लगातार निगरानी की जा रही है। इसके अलावा मेजारोड स्टेशन के पूर्व टोंस नदी पुल पर ट्रेनों की गति नियंत्रित की गई है। वहां भी ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 45 किमी प्रतिघंटा निर्धारित की गई है।
इसी तरह उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के फाफामऊ गंगा रेल पुल पर अभी कॉशन तो नहीं लगाया गया है लेकिन ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 50 किमी प्रतिघंटा जरूर कर दी गई है। वहीं प्रयागराज रामबाग को झूंसी से जोड़ने वाले नवनिर्मित गंगा पुल पर भी ट्रेनें 110 की जगह अब अधिकतम 60 किमी की रफ्तार से गुजर रही हैं। वाराणसी मंडल के पीआरओ अशोक कुमार का कहना है कि यह पुल पूरी तरह से सुरक्षित है। अगर गंगा का जलस्तर रेलवे ट्रैक तक भी पहुंचता है तब भी इस पुल से ट्रेन अधिकतम दस किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाई जा सकती है।
नैनी रेल पुल पर ट्रेनों का सुचारू रूप से आवागमन हो रहा है। अभी यहां ट्रेनें अधिकतम 45 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाई जा रही हैं। - अमित कुमार सिंह, पीआरओ, प्रयागराज मंडल ।