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यूपीपीएससी और अभ्यर्थियों के बीच बढ़ा टकराव, आयोग के सामने सड़क पर बैठे हजारों प्रतियोगी छात्र

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। आरओ-एआरओ भर्ती परीक्षा में धांधली और पेपर लीक मामले को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) गेट पर प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में छात्र आयोग के गेट के सामने मुख्य सड़क पर बैठ गए हैं। इसके चलते आवागमन बाधित हो गया है। मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स बुला ली गई है। अभ्यर्थी परीक्षा को निरस्त कर फिर से परीक्षा कराने की मांग पर अड़े हैं।
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को हजारों प्रतियोगी छात्र उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के सामने डटे रहे। छात्र परीक्षा निरस्त करने और पुनर्परीक्षा कराने की मांग पर अड़े हैं। आयोग के दो नंबर गेट के सामने हजारों छात्र सड़क पर बैठ गए हैं। इससे प्रयागराज लखनऊ मार्ग पर आवागमन बाधित हो गया है। लखनऊ जाने वाले वाहनों को दूसरे मार्ग से भेजा जा रहा है, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।


आंदोलन के समर्थन में एनएसयूआई, समाजवादी छात्रसभा, दिशा छात्र संगठन समेत कई अन्य छात्र संगठन भी उतर आए हैं। सुबह 11 बजे से प्रतियोगियों की भीड़ इकट्ठा होने लगी। थोड़ी ही देर में हजारों छात्र पहुंच गए। हंगामे की आशंका के मद्देनजर आयोग के सभी गेट बंद कर दिए और आयोग चौराहे से सिविल लाइंस बस अड्डा जाने वाली रोड पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर ट्रैफिक का आवागमन रोक दिया।
इस बीच प्रतियोगी छात्र लगातार नारेबाजी करते रहे। उनका कहना था कि आयोग को ईमेल पर साक्ष्य भेजे जा रहे हैं। कई प्रतियोगियों ने शपथपत्र के साथ ईमेल किया है। प्रतियोगी छात्र शपथपत्र के साथ साक्ष्य की हार्डकॉपी देने को भी तैयार हैं। जांच के लिए आयोग के पास सभी संसाधन भी उपलब्ध है तो आयोग परीक्षा निरस्त किए जाने को लेकर निर्णय लेने में देरी क्यों कर रहा है। प्रतियोगियों ने कहा कि जब तक इस पर कोई निर्णय नहीं होता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की आंतरिक जांच समिति तेजी से आगे बढ़ रही है। आयोग ने 58 जिलों के नोडल अफसरों से परीक्षा केंद्रों को लेकर रिपोर्ट तलब की है।आयोग के सूत्रों के अनुसार अब तक जो भी साक्ष्य सामने आए हैं या अभ्यर्थियों की ओर से उपलब्ध कराए गए हैं, उनके अनुसार दोनों पालियों के प्रश्नपत्रों की उत्तरकुंजी परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल की गई। प्रथम प्रश्नपत्र की जो उत्तरकुंजी वायरल की गई, उसमें आधे सवालों के वैकल्पिक जवाब सही और आधे गलत हैं।

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वहीं, दूसरी पाली में हिंदी के प्रश्नपत्र में केवल 28 सवालों के वैकल्पिक उत्तर सही हैं और बाकी सवालों के जवाब गलत हैं। अगर प्रश्नपत्र आयोग के स्तर से या प्रिंटिंग प्रेस के स्तर से आउट होता तो एक दिन पहले ही अभ्यर्थियों तक पहुंच गया होता और सभी सवालों के जवाब भी सहीं होते। सूत्रों के अनुसार अब तक हुई जांच में सामने आए इन तथ्यों के आधार पर माना जा रहा है कि अगर पेपर आउट हुआ है तो यह परीक्षा केंद्र के स्तर से हो सकता है। 
इस बाबत भी कोई ठोस साक्ष्य सामने नहीं आया है कि पेपर परीक्षा केंद्र के स्तर से बाहर आया। वायरल हुए दोनों पेपर लाखों मोबाइल फोन तक पहुंचे, इसलिए इसकी जड़ तलाशने में अभी वक्त लगेगा। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा प्रदेश के 58 जिलों के 2387 केंद्रों में आयोजित की गई थी। ऐसे में आयोग एक-एक केंद्र को खंगाल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सभी 58 जिलों के नोडल अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई है।
उनसे पूछा गया है कि किस केंद्र में पेपर कितने बजे पहुंचा और पेपर का बंडल कब खुला। इस पूरी प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज भी मांगी गई है। प्रश्नपत्रों को कोषागार में सुरक्षित रखवाना, वहां से निकलवाना और परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाना स्थानीय प्रशासन के जिम्मे होता है और इसमें आयोग की कोई भूमिका नहीं होती है, सो सभी 58 जिलों के स्थानीय प्रशासन से भी संपर्क किया जा रहा है ताकि रिपोर्ट शीघ्र प्राप्त हो और जांच किसी निष्कर्ष तक पहुंचे।

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