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गजब..खनन माफियाओं के खेल में उलझी रही पुलिस

 

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अवैध खनन का ऐसा खेल,लोग समझे पानी टंकी बनेगीः लेखपाल-कानूनगो का फर्जी लेटर थाने पर जमा कर गुमराह कर के करता रहा खोदाई, एफआईआर दर्ज 

प्रयागराज (राजेश सिंह)। जिले में फर्जीवाड़ा,जालसाजी का एक अजीब मामला सामने आया है। मिट्टी खनन कर लाखों कमाने के खेल में अधिकारियों के फर्जी आदेश पत्र और पट्टे का इस्तेमाल किया गया। हुआ यूं कि एक शख्स ने तालाब और आसपास की मिट्टी खनन कर बेचनी शुरू कर दी। कहा कि सरकारी काम है। यहां प्रशासन की ओर से पानी की टंकी बनाई जाएगी। बुलडोजर आदि से मिट्टी निकाल कर ट्रक पर जाने लगी। उस शख्स ने खनन का आदेश पत्र प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मऊआइमा थाने में जमा कर दिया। यह सिलसिला चलता रहा।


लेखपाल, कानून-गो के फर्जी हस्ताक्षर की रिपोर्ट लगाई एक दिन गंगा एक्सप्रेस-वे के एक अधिकारी ने मिट्टी खनन होते देख पूछताछ कर इंस्पेक्टर मऊआइमा को जानकारी दी। उस शख्स के आदेश पत्रों की जांच हुई तो पता चला उसने लेखपाल, कानून-गो, राजस्व निरीक्षक समेत अन्य अधिकारियों का फर्जी हस्ताक्षर,मुहर और रिपोर्ट शामिल कर दी थी। मऊआइमा पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर सभी अधिकारियों से आदेश पत्र की पुष्टि कराई। इसके बाद मऊआइमा थाने में पंकज कुमार गुर्जर निवासी सिकंदरपुर, नया पूरा मऊआइमा के खिलाफ फर्जीवाड़े, अवैध खनन, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज कर लिया। आरोपी को तलाशा जा रहा है।


पहले सरकारी कर्मचारी, अधिकारी जांच के दायरे में आए अवैध मिट्टी खनन का मामला पकड़ में आया तो पहले यह माना गया कि लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि ने ही अपने स्तर से फर्जी मुहर, पेपर देकर खनन शुरू करा दिया। आदेश पत्रों को देखने के बाद सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के खिलाफ ही गोपनीय जांच शुरू हो गई। परत-दर-परत दस्तावेजों की जांच हुई तो पता चला कि कर्मचारी और अधिकारी को जानकारी ही नहीं है। सब किया धरा एक गिरोह का है जो पहले भी ऐसा कर चुका है।


 *क्या है पूरा मामला जानिए* 


सिकंदरपुर के गाटा संख्या 1139, बराडीह के 42 और 45 तालाब की मिट्टी को खनन किया जाने लगा। सबको बताया गया कि यहां पानी की टंकी का निर्माण होना है। बुलडोजर से खोदाई शुरू हो गई।


खोदाई के लिए आदेश पत्र लेखपाल संदीप यादव, राजस्व निरीक्षक परमात्मा पांडेय और अन्य अधिकारियों का दिखाया गया। गंगा एक्सप्रेस-वे के अधिकारियों ने शिकायत की तो आदेश पत्रों की जांच शुरू हुई। पत्र जारी हुआ कि लेखपाल, राजस्व निरीक्षक समेत अन्य की गोपनीय जांच कर रिपोर्ट दी जाए कि कैसे अवैध खनन को मंजूरी दी गई।


पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो पता चला जिस लेखपाल के हस्ताक्षर और रिपोर्ट हैं,उसकी ड्यूटी तो तब मेला में लगी थी। इसी प्रकार राजस्व निरीक्षण सोरांव में कार्यरत है। इसके बाद साफ हुआ कि सभी के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। मऊआइमा थाना प्रभारी का कहना है कि आदेश पत्र फर्जी पाया गया। जेसीबी से अवैध खनन करने वाले के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। इसमें और कौन-कौन शामिल था, उसकी जांच की जा रही है।

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