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लोस चुनाव: इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी तो फूलपुर से प्रवीण पटेल बनाए गए भाजपा प्रत्याशी

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। भाजपा ने इलाहाबाद और फूलपुर से वर्तमान दोनों सांसदों प्रो. रीता बहुगुणा जोशी और केशरी देवी पटेल का टिकट काट दिया है। बुधवार को भाजपा की ओर से जारी नई लिस्ट में पार्टी ने इलाहाबाद संसदीय सीट से नीरज त्रिपाठी और फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रवीण सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। प्रवीण सिंह पटेल वर्तमान में फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं और वह तीसरी बार विधानसभा में पहुंचे हैं। नीरज त्रिपाठी पूर्व राज्यपाल स्व. केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र हैं। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के अपर महाधिवक्ता हैं। भाजपा ने कौशाम्बी लोकसभा से दो बार से लगातार सांसद विनोद सोनकर पर एक बार फिर विश्वास जताया है। 
भाजपा ने वर्तमान में दोनों महिला सांसदों का टिकट काट दिया है। दोनों महिला सांसदों प्रो. रीता बहुगुणा जोशी और केशरी देवी पटेल का टिकट कटने की पहले से ही संभावना जाहिर की जा रही थी। इलाहाबाद संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए नीरज त्रिपाठी की पत्नी कविता त्रिपाठी भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री हैं। वह 2022 के विधानसभा चुनाव में शहर उत्तरी से टिकट की दावेदार थीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। 
नीरज त्रिपाठी वर्तमान समय में हाईकोर्ट इलाहाबाद में अपर महाधिवक्ता हैं। उनकी गिनती बेदाग छवि के लोकप्रिय अधिवक्ताओं में होती है। नीरज त्रिपाठी के साथ ही उनकी पत्नी कविता भी समाजसेवा में सक्रिय रूप से भागीदारी करती हैं। वर्तमान समय में कविता भाजपा महिला मोर्चा में प्रदेश मंत्री हैं। 
बता दें कि केसरी नाथ त्रिपाठी भाजपा के बड़े नेता थे। वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल के पद पर रहे। आठ जनवरी 2023 को उनका निधन हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं ने शोक जताया था।
लोग बताते हैं कि प्रयागराज के यमुनापार क्षेत्र के विकास के लिए केसरीनाथ त्रिपाठी ने अंतिम समय में भी सीएम योगी से कहा था। यही कारण है कि आज नैनी के अरैल में बनने वाला त्रिवेणी पुष्प के लिए सीएम ने पहल की। इसके अलावा बिजली, पानी, सड़क पर भी खूब काम किया।
केसरी नाथ त्रिपाठी हमेशा कहते थे कि राजनीति को व्यापार नहीं बनाना चाहिए। वह परिवारवाद के खिलाफ थे। अपने जिंदा रहते कभी बेटे को राजनीति में नहीं भेजा। उन्होंने अंतिम समय में कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर सही व्यक्ति का चुनाव करने का संकल्प दिलाया। सभाओं में केसरीनाथ त्रिपाठी से जब कार्यकर्ता बेटे को राजनीति में लाने की बात करते थे तो वह कहते थे कि मेरे जाने के बाद बेटे को राजनीति में लाइएगा।

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