प्रयागराज (राजेश सिंह)। हाईकोर्ट ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह अपनी उपस्थिति में चक रोड के निर्धारण के लिए भूमि का सीमांकन कराएं। डीएम किसी अन्य अधीनस्थ प्राधिकारी से यह कार्य नहीं कराएंगे। साथ ही हंडिया तहसील का कोई भी कर्मचारी सीमांकन प्रक्रिया में शामिल नहीं होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की अदालत ने रामकृपाल की याचिका पर दिया।
तहसील हंडिया, ग्राम बड़गांव परगना मह निवासी रामकृपाल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर भूमिधरी गाटा संख्या-101 पर बनाए गए चक रोड को हटाने के लिए गुहार लगाई थी। याची के वकील ने दलील दी कि भूमिधरी गाटा संख्या-101 पर ग्रामसभा ने चक रोड बनाकर अतिक्रमण किया है।
इस पर ग्रामसभा ने 18 जुलाई, 2024 को रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा कि पूर्व ग्राम प्रधान ने चक रोड का निर्माण करते समय याची की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, जबकि गाटा संख्या-102 की भूमि चक रोड चिह्नित है। वहीं, नायब तहसीलदार, सैदाबाद, तहसील हंडिया ने शपथ पत्र दाखिल किया। जिसमें कहा कि याची की भूमि अराजी नंबर-101 पर कोई अतिक्रमण नहीं है। चक रोड गाटा संख्या-102 पर बनाया गया है।
न्यायालय ने जवाब में विरोधाभास पाते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह अपनी उपस्थिति में छह सप्ताह के भीतर चक रोड के निर्धारण के लिए भूमि का सीमांकन कराएं। पता लगाएं कि चक रोड गाटा संख्या 101 पर है या 102 पर। मामले की अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी।
हाईकोर्ट ने डीएम जौनपुर को जारी किया अवमानना नोटिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम जौनपुर को अवमानना नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन न किए जाने पर क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए? छह जनवरी 2025 को सुनवाई की तिथि नियत की गई है।
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने प्रकाश चंद्र बिंद व अन्य की ओर से दाखिल किए गए अवमानना आवेदन पर यह आदेश दिया है। जौनपुर निवासी प्रकाश चंद्र बिंद व अन्य ने एससी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी दलील थी कि वह केवट व मल्लाह हैं, जो मझवार जाति की उपजाति हैं।
ऐसे में उन्हें एससी प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए डीएम को इस संबंध में तीन माह में उचित फैसला लेने का आदेश दिया था। आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर याची ने हाईकोर्ट में अवमानना आवेदन दाखिल किया।
याची के वकील पुनीत कुमार शुक्ला ने दलील दी कि भारत के राजपत्र में मझवार जाति को अनुसूचित जाति के रूप में शामिल किया गया है। उच्च न्यायालय की ओर से जारी किए गए दिशा निर्देश व उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश का भी हवाला देते हुए याची को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की प्रार्थना की। न्यायालय ने अवमानना आवेदन पर डीएम जौनपुर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।