नई दिल्ली। गुजरात स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान रविवार सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे मतदान पूरा हो गया, मतगणना मंगलवार को होगी। चुनाव जूनागढ़ नगर निगम, 68 नगर पालिकाओं और तीन तालुका पंचायतों में हुए।
गुजरात सरकार की ओर से 2023 में नगर पालिकाओं और पंचायतों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की घोषणा के बाद यह पहला स्थानीय निकाय चुनाव है।
हालांकि, मतदान से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निर्विरोध 215 सीटें हासिल कर ली हैं, जो कुल लड़ी गई सीटों का लगभग 10 प्रतिशत है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन सीटों पर सिर्फ एक उम्मीदवार ही मैदान में बचा है, क्योंकि अन्य उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है, जिससे चुनाव लड़ने की ज़रूरत ही खत्म हो गई है। इस तरह राज्य भर में चुनावी दौड़ में अब कुल 5,084 उम्मीदवार रह गए हैं।
भाजपा की निर्विरोध जीत में 196 सीटें नगर पालिकाओं की, 10 जिला और तालुका पंचायतों की और नौ जूनागढ़ नगर निगम की हैं। पार्टी को ये सीटें प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों की ओर से नामांकन वापस लेने के बाद मिलीं, जिससे निर्विरोध जीत का रास्ता साफ हो गया।
चुनाव आयोग और स्थानीय अधिकारियों ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय लागू किए हैं। मतदान केंद्रों पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और मतदान प्रक्रिया की निगरानी के लिए बेहतर निगरानी व्यवस्था की गई है।
गुजरात का चुनावी अतीत
गुजरात की चुनावी विरासत बहुत समृद्ध बताई जाती है। इस क्षेत्र में पहला चुनाव 1934 में हुआ था जब यह बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, तब अहमदाबाद से गणेश वासुदेव मावलंकर चुने गए, जो बाद में केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष बने।
1960 में अपने गठन के बाद से, गुजरात ने जमीनी स्तर पर शासन को सशक्त बनाने के लिए नियमित रूप से स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित किए हैं। गुजरात का राज्य चुनाव आयोग इन चुनावों की देखरेख करता है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित होती है।
2021 के स्थानीय चुनावों में 8,235 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा गया, जिसमें 237 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए।