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जाति और धर्म के नाम पर न हो भेदभाव... ऐसा समाज बनाने की जरूरतः नितिन गडकरी

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एजेंसी, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को एक अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि एक ऐसे समाज के निर्माण की जरूरत है, जहां किसी को भी लिंग, जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले श्लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर महिला सम्मानश् के लिए आयोजित एक समारोह में नितिन गडकरी ने यह बात कही। इस समारोह में अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।

प्रतिभा के आधार पर आंका जाएरू गडकरी

नितिन गडकरी ने कहा कि हमें ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए, जहां किसी को भी जाति, लिंग, धर्म या सामाजिक स्थिति के आधार पर नहीं बल्कि उनकी प्रतिभा और योगदान के आधार पर आंका जाए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब दुनिया बदल गई है और महिलाओं को अपने लिंग के आधार पर सीमित महसूस नहीं करना चाहिए।

जहां योग्यता है, वहां महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और शीर्ष उपलब्धि हासिल करने वालों में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। बता दें कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर महिला सम्मान पुरस्कारों की स्थापना मुंबई स्थित कमला अंकीबाई घमंडीराम गोवानी ट्रस्ट ने की है।

मनोहर लाल ने हरियाणा में हुई प्रगति का किया उल्लेख

केंद्रीय शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल ने हरियाणा में अहम बदलाव लाने में भूमिका निभाई है।

हरियाणा सीएम रहते अपने कार्यकाल में 30 महिला पुलिस थानों की स्थापना की। इन थानों का प्रबंधन महिला अधिकारियों के हाथों में है। इनकी स्थापना के पीछे का उद्देश्य यह है कि महिला बिना किसी हिचक के अपनी शिकायत पुलिस के पास आसानी से दर्ज करा सके।

सड़क दुर्घटनाओं पर जताई चिंता

उधर, नई दिल्ली में ही गडकरी ने ष्विजन जीरोरू सस्टेनेबल इंफ्राटेक और सुरक्षित सड़कों के लिए नीतिष् विषय पर दो दिवसीय ग्लोबल रोड इंफ्राटेक समिट और एक्सपो (जीआरआईएस) का उद्घाटन किया। यहां उन्होंने कहा कि देश में होने वाली अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं सड़क डिजाइन, निर्माण और प्रबंधन में खराब सिविल इंजीनियरिंग प्रथाओं और अनुचित सड़क संकेत और चिह्न की वजह से होती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्पेन, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में जो किया जा रहा है, उसका पालन करके इसमें सुधार किया जा सकता है।

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