प्रयागराज (राजेश सिंह)। बिहार के बेतिया राजघराने की अंतिम महारानी जानकी कुंवर के प्रयागराज में ष्वारिसोंष् की फौज सामने आने लगी है। इन कथित वारिसों के दिखाए वरासतनामा को बिहार सरकार के अफसरों ने प्रथम दृष्टया ही फर्जी करार दे दिया। कहा कि बेतिया राजघराने का कोई वारिस ही नहीं था, जिसके चलते बिहार सरकार ने इस रियासत की संपत्ति को राज्य संपत्ति घोषित कर दिया है। इसके लिए बाकायदा अधिनियम भी बना दिया गया है। बेतिया राज की प्रयागराज शहर में मुट्ठीगंज, सिविल लाइंस के स्ट्रेची रोड व बघाड़ा में संपत्ति है। प्रयागराज में ये संपत्तियां कुल 4.54 एकड़ हैं। संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा है।
इन जिलों में हैं बेतिया राजघराने की संपत्तियां
प्रयागराज के अलावा उत्तर प्रदेश के महाराजगंज, मीरजापुर, वाराणसी, अयोध्या, कुशीनगर, पडरौना, गोरखपुर में भी इस राजघराने की संपत्तियां हैं। प्रदेश के इन सभी आठ जिलों में बेतिया राज की 143.26 एकड़ संपत्ति राजस्व अभिलेखों में दर्ज है, जिनमें लगभग 140.94 एकड़ की संपत्ति पर अवैध कब्जा है। बिहार सरकार ने इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार के बीच वार्ता हो चुकी है। बिहार राजस्व परिषद के चेयरमैन केके पाठक को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बिहार राजस्व परिषद ने प्रयागराज में खोला कार्यालय
बिहार राजस्व परिषद का प्रयागराज के कटरा में शिविर कार्यालय भी खोल दिया गया, जिसमें अधिकारियों व अन्य स्टाफ की तैनाती बिहार सरकार की ओर से की गई। यहां नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात बिहार सरकार के राजस्व अधिकारी संजीव कुमार राय अपनी टीम के साथ गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे। उन्होंने मुट्ठीगंज में बेतिया राज की संपत्तियों का सर्वे किया। इस दौरान पता चला कि बेतिया राज प्रबंधन ने यहां 12 किराएदार रखे थे, जिनसे वर्ष 2017 के बाद से किराया नहीं मिल रहा है। सर्वे में जानकारी हुई कि 32 लोगों ने इस संपत्ति पर कब्जा कर मकान निर्माण करा लिया है। इस परिसर में बेतिया राजघराने द्वारा निर्मित मंदिर अब भी है। सर्वे टीम में शामिल अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान कई कथित वारिस सामने आ गए, जो फर्जी वरासतनामा दिखा रहे थे। राजस्व अधिकारी ने बताया कि बेतिया राजघराने का कोई वारिस ही नहीं है।
खुलेगा बेतिया राज की तिजोरी का राज, चेयरमैन कर चुके हैं निरीक्षण
बेतिया राज की तिजोरी वर्ष 1939 में तत्कालीन इंपीरियल बैंक की शाखा में रखवाई गई थी। अब यह भारतीय स्टेट बैंक हो गया है। वर्तमान में यह तिजोरी एसबीआइ की त्रिवेणी शाखा में रखी गई है। तिजोरी को खोलवाने की कवायद शुरू हो चुकी है। तिजोरी में लगभग 200 करोड़ रुपये के हीरे-मोती, जवाहरात हैं। तिजोरी की चाबी का पता नहीं है। इसे तोड़ने की कवायद होगी। इसके लिए प्रशासन की ओर से कमेटी गठित की जाएगी, जिसके सामने ही तिजोरी का ताला तोड़ा जाएगा। इस तिजोरी में रखे जेवरात बिहार के संग्रहालय में रखे जाएंगे।