प्रयागराज (राजेश सिंह)। करछना बवाल के दौरान न सिर्फ तोड़फोड़ और आगजनी हुई, बल्कि उपद्रवी पुलिस के उपकरण और अन्य सामान भी लूट ले गए। नैनी थाना प्रभारी के वाहन से दंगा नियंत्रण उपकरण उठा ले गए तो डायल 112 की गाड़ी से एमडीटी के अलावा इवेंट रजिस्टर व सीयूजी मोबाइल समेत अन्य सामान उपद्रवी लूट ले गए। करछना थाना प्रभारी अनूप सरोज की ओर से उक्त जानकारी अफसरों को भी दी गई है।
उन्होंने बताया कि बवाल के दौरान नैनी, औद्योगिक क्षेत्र थाना प्रभारी और डायल 112 की गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। इस दाैरान उपद्रवियों ने नैनी थाना प्रभारी के वाहन में रखे दंगा नियंत्रण उपकरण जैसे पांच बॉडी प्रोटेक्टर, पांच हेलमेट, पांच डंडे, एक डायरी, एक पी-कैप और दो टॉर्च समेत अन्य सामान लूट लिए। इसी तरह डायल 112 की गाड़ी से एमडीटी व उसके चार्जर, सीयूजी मोबाइल नंबर वाले फोन समेत अन्य सामान लूटे गए। इसमें दंगा नियंत्रण उपकरण, दो कैनसील्ड, दो बॉडी प्रोटेक्टर, एक डंडा, एक हेलमेट मय बैग, इवेंट रजिस्टर, गाड़ी का जैक, रिंच, राॅड, बैग एक, क्राइम सीन टेप, कैंची, खंजर कीला, खंजर कीला टोप, एविडेंस स्टैंड, स्टैंड प्लेट, टार्च, रस्सी, फर्स्ट एड किट, रिफ्लेक्टर जैकेट आदि शामिल है।
घटना के संबंध में दर्ज मुकदमे में कुल 15 धाराएं लगाई गई हैं। इनमें सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की दो धाराएं भी शामिल हैं। इसके अलावा हत्या का प्रयास, डकैती, 7 सीएलए जैसी गंभीर धाराएं भी शामिल हैं। लूटे गए सामान की बरामदगी के बाद मुकदमे में धाराएं और बढ़ सकती हैं।
पुलिस के मुताबिक, इस घटना में तीन पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं। इनमें एसीपी करछना अरुण कुमार त्रिपाठी भी शामिल हैं। उनके अलावा चौकी प्रभारी भुंडा कैलाश और डायल 112 के चालक होमगार्ड जयशंकर पांडेय शामिल हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि तीन अन्य पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए जिनमें से दो नैनी और एक औद्योगिक थाने के सिपाही हैं। हालांकि इन तीनों को मामूली चोटें हैं।
भड़ेवरा बाजार में हुए बवाल की एक बड़ी वजह स्थानीय पुलिस की चूक मानी जा रही है। रविवार की सुबह से ही न सिर्फ करछना बल्कि आसपास के कई इलाकों से क्षेत्र में भीड़ जुटती रही, लेकिन थाना प्रभारी बेखबर बने रहे। सुरक्षा व्यवस्था महज चौकी पुलिस के भरोसे छोड़ दी गई। बवाल शुरू होने के बाद थाना पुलिस हरकत में आई, लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी।
सूत्रों के अनुसार, चौकी के पुलिसकर्मियों ने जब भीड़ के उग्र होने और जाम लगाने की सूचना थाने को दी, तब जाकर थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। इसके बाद बेकाबू होती स्थिति को देखते हुए आसपास की फोर्स बुलाई गई, लेकिन भीड़ को काबू नहीं किया जा सका। फिर तीन कंपनी पीएसी लेकर पहुंचे अफसरों ने हालात को मशक्कत के बाद काबू किया।
घटना को लेकर स्थानीय पुलिस सवालों के घेरे में है। सवाल यह कि निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी दो-ढाई हजार की संख्या में पहुंचे युवकों को एक जगह जमा क्यों होने दिया गया। भीम आर्मी चीफ को एयरपोर्ट व फिर सर्किट हाउस में रोके जाने की सूचना सोशल मीडिया पर दोपहर 12 बजे से ही वायरल होने लगी थी। इसके बावजूद करछना पुलिस क्यों अनजान बनी रही। मौके पर लगातार तनावपूर्ण होती वास्तविक स्थिति के बारे में आला अफसरों को सूचना देकर समय रहते जरूरी कदम क्यों नहीं उठाया गया।
भड़ेवरा बाजार की घटना का एक कारण स्थानीय खुफिया इकाई की विफलता भी मानी जा रही है। आरोप लग रहे हैं कि स्थानीय अधिसूचना इकाई को न तो भीड़ जुटने की कोई पूर्व सूचना थी। न ही वह उपद्रव की आशंका भांपने में सफल हो पाई। सूत्रों का कहना है कि भीड़ संगठित रूप से पहुंची और योजनाबद्ध तरीके से बाजार में उपद्रव मचाया। अगर खुफिया इकाई अलर्ट होती तो पुलिस पहले से तैयारी कर सकती थी और हालात को बेकाबू होने से रोका जा सकता था।