प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज में अब पिछले 2 दिनों से गंगा और यमुना के जलस्तर में कमी हो रही है। वहीं, बाढ़ का कहर अभी भी जारी है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 5 हजार से ज्यादा घरों में ताले बंद हो गए। दरअसल, तमाम ऐसे लोग जिनके घरों में बाढ़ का पानी पहुंचा हुआ है, वहीं बड़ी संख्या में ऐसे घर हैं जिनका पूरा मंजिला मकान में पानी में डूब गया है। घरों में गंदा पानी पहुंचा हुआ है। सड़े व मरे हुए जानवर बाढ़ के पानी में बहते हुए घरों तक पहुंच रहे हैं।
संपर्क मार्ग टूटने से लोग अपने घरों से निकल नहीं पा रहे हैं। नाव के जरिए वह घरों से निकल रहे हैं और जरूरत के सामान खरीदकर वापस नाव से अपने घरों तक जा रहे हैं। हम शहर के बेली गांव में पहुंचे थे। यहां कुछ इस तरह का दृश्य देखने को मिला। बेली गांव के रहने वाले राम प्रसाद यादव कहते हैं, यहां घर है, पूरा परिवार है, मवेशी हैं। यह सब छोड़कर कहीं नहीं जाया सकता। बाढ़ का पानी घरों में घुसा हुआ है। लेकिन मजबूरी है कि यहीं पर रहना है। कहीं जाना आना है तो नाव के सहारा लेना पड़ता है। ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन के लोग भी कोई मदद के लिए नहीं आ रहे हैं। पेशे से अधिवक्ता अभिमन्यु कहते हैं, जब भी बाढ़ आती है तो मुश्किलें बढ़ जाती हैं। घर में पानी आ गया है लेकिन नाव से घर से निकलता हूं और करीब 500 मीटर जाने पर सड़क मिलती है। कोर्ट जाना ही है इसलिए प्रतिदिन ऐसे ही काम चला रहा हूं। प्रशासन की तरफ से इस बार कोई मदद नहीं मिली है।
सुविधा के नाम पर सिर्फ एक नाव की व्यवस्था
अनूपा यादव कहती हैं, घर में पानी आ जाने से हम लोग परेशान हैं। राहत शिविर तो बने हैं लेकिन घर गृहस्थी का पूरा सामान छोड़कर नहीं जाया जा सकता है। सबसे ज्यादा मवेशियों को दिक्कतें हो रही हैं। राहत के नाम पर प्रशासन की ओर से एक नाव की व्यवस्था की गई है जिससे थोड़ी राहत मिल रही है।
बिहार के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार एक प्राइवेट कंपनी में जाब में करते हैं। कहते हैं, बेली गांव में रूम में सस्ते में मिल गया इसलिए यहां रहता हूं। लेकिन जब भी बाढ़ आती है तो मुश्किलें बढ़ जाती है। एक से डेढ़ महीने बहुत परेशानी होती है। रामसजीवन यादव कहते हैं, 10 से ज्यादा गाय भैंस पाला हूं। खुद के साथ साथ इन मवेशियों के रहने की दिक्कतें हो रही है।