चारों शंकराचार्यों को छोड़कर देशभर के मठों के संत मंदिर परिसर में मौजूद रहे। शहर को 1000 क्विंटल फूलों से सजाया गया। मंदिर में 5-लेयर सुरक्षा रही। एटीएस, एनएसजी, एसपीजी, सीआरपीएफ और पीएसी के जवान तैनात रहे। रामलला ने आज सोने और रेशम के धागों से बने पीतांबर वस्त्र धारण किए। सदियों के घाव भर रहे हैं, सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों से आस्था डिगी नहीं, एक पल भी विश्वास टूटा नहीं। धर्म ध्वजा केवल ध्वजा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। आने वाले सदियों तक यह ध्वज प्रभु राम के आदर्शों का उद्घोष करेगा। यह ध्वज प्रेरणा देगा कि प्राण जाए पर वचन न जाए।
अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यह वही भूमि है, जहां राम ने जीवन शुरू किया। इसी धरती ने बताया कि एक व्यक्ति अपने समाज की शक्ति से कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है। जब भगवान यहां से गए तो युवराज राम थे, लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर लौटे।
हर कालखंड में राम के विचार ही हमारी प्रेरणा बने हैं। विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए ऐसा रथ चाहिए, जिसके पहिये शौर्य और धैर्य हों। ऐसा रथ जिसकी ध्वजा नीति-नीयत से समझौता न करे। ऐसा रथ जिसके घोड़े बल, विवेक, संयम और परोपकार हों। आज से 190 साल पहले 1835 में लॉर्ड मैकाले ने मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। 2035 में उस अपवित्र घटना को 200 साल पूरे हो रहे हैं। हमें आने वाले 10 सालों में भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करना है। मैकाले ने जो सोचा था, उसका प्रभाव व्यापक हुआ। हमें विकार आ गया कि विदेशी चीज अच्छी है, हमारी चीज में खोट है। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है। नौसेना के ध्वज पर ऐसे प्रतीक बने थे, जिनका हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं था। हमने गुलामी के प्रतीक को हटाया है। हमारे राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए कुल नहीं, भक्ति महत्वपूर्ण है। जब देश का हर व्यक्ति सशक्त होता है तो संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगता है। राम यानी आदर्श, राम यानी मर्यादा, राम यानी जीवन का सर्वाेच्च चरित्र, राम यानी धर्म पथ पर चलने वाला व्यक्तित्व, राम यानी जनता के सुख को सर्वाेपरि रखने वाला। अगर समाज को सामर्थ्यवान बनाना है तो भीतर राम की स्थापना करनी होगी।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- राम मंदिर आंदोलन में लोगों ने अपने प्राण अर्पण किए। आज उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी। आज वास्तव में अशोक जी को वहां शांति मिली होगी। उन्होंने अपने प्राण अर्पण किए और अपना पसीना बहाया। जो पीछे रहे, वे भी मन में इच्छा करते रहे कि मंदिर बनेगा और आज मंदिर निर्माण की शास्त्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो गई।
ध्वजारोहण हो गया...हमने इसे अपनी आंखों से देखा है। रथ चलाने के लिए सात-सात घोड़े हैं, उन्हें नियंत्रित करने के लिए लगाम है। रस्सा नहीं है, सारथी नहीं है तो ऐसी गाड़ी नहीं चल सकती। शांति बांटने वाला भारतवर्ष खड़ा करना है.. यही विश्व की अपेक्षा है।
सीएम योगी ने कहा कि ध्वजारोहण यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं, बल्कि नए युग का शुभारंभ है। भाजपा सरकार बनने पर 2014 में जिस संभावना, संकल्प और विश्वास का सूर्याेदय हुआ, आज वही तपस्या और अनगिनत पीढ़ियों की प्रतीक्षा साकार हुई। श्रीराम मंदिर पर फहराता केसरिया ध्वज धर्म, मर्यादा, सत्य-न्याय और राष्ट्रधर्म का भी प्रतीक है। संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। सभी ने 11 वर्षों में बदलते भारत को देखा है। 500 वर्षों में साम्राज्य बदले, पीढ़ियां बदलीं, लेकिन आस्था अडिग रही। आस्था न झुकी, न रुकी। जन-जन का विश्वास अटल था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन के हाथों में कमान आई तो हर मुंह से एक ही उद्घोष निकलता था-रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। लाठी-गोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।’ एक समय था, जब वैभवशाली अयोध्या संघर्ष और बदहाली का शिकार बन चुकी थी, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में अयोध्या उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन रही है। यहां हर दिन पर्व है, हर दान प्रताप है और हर दिशा में रामराज्य की पुनर्स्थापना की दिव्य अनुभूति हो रही है। पीएम मोदी ने कहा- हर कालखंड में राम के विचार ही हमारी प्रेरणा बनेंगे। विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए ऐसा रथ चाहिए, जिसके पहिये शौर्य और धैर्य हों। ऐसा रथ जिसकी ध्वजा नीति, नीयत से समझौता नहीं करे। ऐसा रथ जिसके घोड़े बल, विवेक, संयम और परोपकार हो। ऐसा रथ जिसकी लगाम क्षमा, करुणा और संभाव हो, जहां सफलता का अंहकार नहीं, असफलता में भी दूसरों के प्रति सम्मान बना रहे। यह पल कंधे से कंधा मिलाने का है, यह पल गति बढ़ाने का है। हमें वह भारत बनाना है जो रामराज्य से प्रेरित हो, यह तब ही संभव है स्वयं से पहले राष्ट्र हित होगा। जय सियाराम, जय सियाराम, जय सियाराम के उद्घोष के साथ संबोधन समाप्त। पीएम मोदी ने करीब 32 मिनट भाषण दिया। पीएम मोदी ने कहा, आज से 190 साल पहले 1835 में लार्ड मैकाले ने मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। दस साल बाद यानी 2035 में उस अपवित्र घटना को दो सौ साल पूरे हो रहे हैं, हमें आने वाले दस सालों में भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। मैकाले जो सोचा था, उसका प्रभाव व्यापक हुआ। हमें आजादी मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली। हमें विकार आ गया कि विदेशी चीज अच्छी है, हमारी चीज में खोट है। यही गुलामी की मानसिकता है, हमने विदेशों से लोकतंत्र लिया, हमारा संविधान भी विदेशों से प्रेरित है। जबकि हकीकत है कि भारत लोकतंत्र की जननी है।
तमिलनाडु के एक गांव में शिलालेख पर बताया है कि कैसे सरकार चुनती थी, कैसे शासन चलता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है। नौसेना के ध्वज पर ऐसे प्रतीक बन रहे, जिन पर हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं है। हमने गुलामी के प्रतीक को हटाया है। हमने छत्रपति महाराज की विरासत को बढ़ाया है। यह डिजाइन नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था। भारत अपनी शक्ति और प्रतीकों से परिभाषित करेगा, ना कि किसी ओर की विरासत से, यही परिवर्तन आज आज अयोध्या में दिखाई दे रहा है। पीएम मोदी ने कहा, हमारे राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए कुल नहीं भक्ति महत्वपूर्ण है। उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है। आज हम भी उसी भावना से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 11 सालों में महिला, दलित, पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, युवा को विकास के केंद्र में रखा गया है। जब देश का हर व्यक्ति सशक्त होता तो संकल्प की सिद्धि में सबका प्रयास लगेगा। 2047 तक हमें विकसित भारत का निर्माण करना ही होगा। रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर राम से राष्ट्र की चर्चा की थी, हमें एक हजार वर्ष के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो सिर्फ वर्तमान सोचते हैं, वह आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें भावी पीढ़ियों के लिए भी सोचना है, क्योंकि जब हम नहीं थे, तब भी देश था। जब हम नहीं रहेंगे तब भी देश रहेगा।
हम जीवंत समाज हैं, दूरदृष्टि से काम करना होगा। आने वाले दशक और आने वाली सदियों को ध्यान में रखना होगा। इसके लिए हमें राम से सीखना होगा, उनके व्यवहार को आत्मसात करना होगा। राम यानी आदर्श, राम यानी मर्यादा, राम यानी जीवन का सर्वाेच्च चरित्र, राम यानी धर्म पथ पर चलने वाला व्यक्तित्व, राम यानी जनता के सुख को सर्वाेपरि रखने वाला।
राम यानी धर्म और क्षमा का जरिया, राम यानी ज्ञान और विवेक की पराकाष्ठा, राम यानी कोमलता, राम यानी कृतज्ञता का सर्वाेच्च उदाहरण, राय यानी श्रेष्ठ संगति का चयन, राम यानी विनम्रता में महाबल, राम यानी सत्य का अडिग संकल्प, राम यानी जागरूक, अनुशासी, निष्कपट, राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, राम एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं। अगर समाज को सामर्थ्यवान बनाना है तो अंदर के भीतर राम की स्थापना करनी होगी। इसके लिए आज से बेहतर दिन क्या हो सकता है, अपनी विरासत पर गर्व का अद्भुत दिन लेकर आया है आज का दिन। अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यह वही भूमि है, जहां राम ने जीवन शुरू किया। इसी धरती ने बताया कि एक व्यक्ति अपने समाज की शक्ति से कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है, जब भगवान यहां से गए तो युवराज राम थे, वह लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर लौटे। साथियों, विकसित भारत बनाने के लिए समाज की इसी सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के चेतना स्थली बन रहा है। यहां माता शबरी का मंदिर है, जो जनजातीय समाज के प्रेम प्रेरणा की मूर्ति हैं, निषाद राज, माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, संत तुलसीदास, जटायु, गिलहरी की मूर्तियां भी हैं। जो बड़े संकल्पों की सिद्धी के लिए छोटे से छोटे प्रयास को बताती हैं। मैं हर भारत वासी से कहूंगा राम मंदिर आएं तो सप्त मंदिर के दर्शन करें, यह आस्था के साथ मित्रता और सामाजिक मूल्यों और सद्भाव को शक्ति देते हैं। पीएम मोदी ने कहा- ध्वज सत्यमेव जयते का आह्वान करेगा। यानी जीत सत्य की होती है, असत्य की नहीं। यह ध्वज प्रतीक बनेगा कि सत्य ही ब्रह्म का स्वरूप है। सत्य में ही धर्म स्थापित है। यह ध्वज प्रेरणा रहेगा कि प्राण जाए पर वचन नहीं जाए, जो कहा जाए वही किया जाए। यह संदेश देगा कि कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, विश्व में कर्म और कर्तव्य की प्रधानता हो। यह कामना करेगा कि भेदभाव, परेशानी से मुक्ति, समाज में शांति और सुख हो, यह धर्म हमें प्रेरित करेगा कि ऐसा समाज बनाएं जहां गरीबी, भूख या लाचार नहीं हो। जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते हैं, दूर से मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। यह ध्वज भी मंदिर के ध्येय का प्रतीक है, यह दूर से ही रामलला की जन्मभूमि का दर्शन कराएगा। युगों-युगों तक राम के आदर्शों को मानव मात्र तक पहुंचाएगा। मैं संपूर्ण विश्व के रामभक्तों को इस क्षण की शुभकामना देता हूं, भक्तों को प्रमाण और दानवीर का आभार जिसने सहयोग किया। निर्माण से जुड़े सभी श्रमिक, कारीगर, वास्तुकार का भी अभिनंदन है। पीएम मोदी ने सियावर राम चंद्र की जय, सियावर राम चंद्र की जय, जय सियाराम का उद्घोषण कर अपने संबोधन की शुरुआत की। कहा, आज संपूर्ण भारत और संपूर्ण विश्व राममय है, रामभक्त के हृदय में आज अद्वितीय संतोष है। अपार अलौकिक आनंद है। सदियों के घाव भर रहे हैं, सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। आज उसी यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि पांच सौ साल तक प्रज्जवलित रही। जो यज्ञ एक पल भी आस्था से डिगा नहीं, एक पल भी विश्वास से टूटा नहीं। आज भगवान के गर्भगृह की ऊर्जा, यह धर्म ध्वजा केवल ध्वजा नहीं यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। इसका भगवा रंग, इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, कोविदार वृक्ष, सूर्य रामराज्य का प्रतीक है। यह ध्वज संकल्प है, यह ध्वज सफलता है, संघर्ष से सृजन की गाथा है, सदियों से चले आ रहे संघर्ष का साकार स्वरूप है, संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणति है। आने वाले सदियों तक यह ध्वज प्रभु राम के आदर्शों का उद्घोष करेगा। मोहन भागवत ने कहा, आज हम सबके लिए एक सार्थकता का दिवस है। इतने लोगों ने सपना देखा, प्रयास किया और प्राण अर्पण किए। आज उनकी स्वर्गावस्था आत्मा तृत्प हुई होगी।
आज वास्तविक रूप में अशोक जी (अशोक सिंघल), संत परमहंस चंद्र दास, आदरणीय डालमिया जी की आत्मा को शांति मिली होगी। आज मंदिर की शास्त्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो गई। राम राज्य का ध्वज, जो कभी अयोध्या फहराता था, जो पूरी दुनिया में अपने आलोक से समृद्धि प्रदान करता था, वह आज धीरे-धीरे ऊपर उठते हुए अपनी आंखों से देखा है।
रथ चलाने के लिए सात सात घोड़े हैं, उन्हें नियंत्रण करने के लिए लगाम है। रस्सा नहीं है, सारथी नहीं है, तो ऐसी गाड़ी नहीं चल सकती है। लेकिन रोज पूरब से पश्चिम जाना सूर्य भगवान करते हैं, क्योंकि कार्य की सिद्धि सत्व से होती है। हिन्दू समाज ने साढ़े पांच सौ साल अपने सत्व को सिद्ध किया राम मंदिर बन गया, रामलला आ गए। मोहन भागवत ने कहा, छाया बांटने वाले भारत को खड़ा करने का काम शुरू हो गया है। हमें सभी विपरीत परिस्थितियों में भी काम करना है। संकल्प की पुनरावृत्ति का दिवस है। सबके लिए खुशी बांटने वाला, शांति बांटने वाला भारत वर्ष खड़ा करना है, यह विश्व की अपेक्षा है। हमारा कर्तव्य है, रामलला का नाम लेकर इस कार्य की गति बढ़ाएं। जैसा सपना देखा था उन लोगों ने बिल्कुल वैसा, उससे भी अधिक और भव्य मंदिर बन गया है। मोहन भागवत ने करीब 11 मिनट भाषण दिया।
सीएम बोले- आस्था अडिग रही, न झुकी...न रुकी
सीएम ने कहा, भारत एक नई ऊंचाई को प्राप्त कर रहा है। 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन, 50 करोड़ लोगों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलना रामराज की उद्घोषणा का संकल्प है। पिछले पांच सौ वर्ष में साम्राज्य बदले, लेकिन आस्था अडिग रही, आस्था न झुकी न रुकी, जनजन को विश्वास था। जब आरएसएस के हाथ में कमान आई तो एक ही उद्घोष निकलता था- रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे। एक समय था अयोध्या संघर्ष, अराजकता और बदहाली का शिकार बन चुकी थी, लेकिन आज पीएम मोदी के नेतृत्व में अयोध्या उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन गई है। रामराज की दिव्य स्थापना हो रही है। सीएम ने कहा कि बेहतर कनेक्टिविटी है, धर्मपथ, रामपथ, भक्ति पथ, पंचकोसी, चौदह कोसी और चौरासी कोसी परिक्रमा आस्था को नया सम्मान प्रदान कर रही है। आस्था और आधुनिकता के साथ आस्था और अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान बनाई है। सोलर सिटी के रूप में भी पहचान बनी है, आज का दिन हम सभी के लिए हर भारतवासी के लिए आत्मगौरव का दिन है, राष्ट्र गौरव का दिन है। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के लिए समय निकालकर भगवान राम के मंदिर में केसरिया ध्वजोराहण किया है, मैं उनका स्वागत करता हूं। सभी राम भक्तों का स्वागत करते हुए वाणी को विराम देता हूं। सीएम योगी ने रामचरितमानस की चौपाई से भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा-आज सफल तपु तीरथ त्यागू, आजु सुफल जप जोग बिरागू। सफल सकल सुभ साधन साजू, राम तुम्हहि अवलोकत आजू। उन्होंने कहा- भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर पर ध्वजारोहण एक यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है। भारत को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाले पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करता हूं। हमारे विचार परिवार के मुखिया सरसंघ चालक का भी रामभक्तों की ओर से अभिनंदन करता हूं। आज पीढ़ियों की तपस्या साकार हो रही है।
सीएम योगी ने कहा, प्रभुराम का मंदिर 140 करोड़ भारत वासियों के गौरव का प्रतीक है। संकल्प और विश्वास का सूर्याेदय हुआ है। श्रीराम मंदिर पर फहराता ये केसरिया ध्वज शक्ति, न्याय और राष्ट्र धर्म का प्रतीक है। यह विकसित भारत की संकल्पना का प्रतीक भी है। क्योंकि संकल्प का कोई विकल्प नहीं है। हम एक नए भारत का दर्शन कर रहे हैं। विकास को नई ऊंचाई को प्राप्त हो रहा है। योगी रामचरित मानस की चौपाई सुनाते हुए बताया कि राशन, स्वास्थ्य और आवास की सुविधा देकर रामराज्य की उद्घोषणा का संकल्प है। पिछले 500 वर्षों में साम्राज्य बदले, पीढ़ियां बदली। पर आपकी आस्था न झुकी न रुकी।
पीएम मोदी और मोहन भागवत ने धर्मध्वजा फहराई
च्ड मोदी और त्ैै प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया। सुबह 11.50 बजे अभिजीत मुहूर्त में बटन दबाते ही 2 किलो की केसरिया ध्वजा 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहरने लगी।