नई दिल्ली। कनाडा ने यूक्रेन को एंटी टैंक हथियार सप्लाई करने का फैसला लिया है. इसके साथ-साथ रूसी ऑयल का आयात रोकने का भी फैसला हुआ है. इधर यूक्रेन की राजधानी में रातभर बमबारी के बीच UNHRC में रूस को झटका लगा है. इसमें भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से 182 भारतीयों को लेकर सातवां विमान आज सुबह भारत पहुंचा. यूक्रेन का हवाई क्षेत्र बंद होने के बाद भारत वहां फंसे अपने नागरिकों को उसके पड़ोसी देशों रोमानिया, हंगरी और पोलैंड के रास्ते निकाल रहा है।
*तुर्की ने लगाया रूस पर बड़ा प्रतिबंध*
तुर्की ने रूस पर बड़ा प्रतिबंध लगाया है. उसने अपने कब्जे वाले ब्लैक सी के क्षेत्र में रूसी सैन्य जहाजों की एंट्री रोक लगा दी है.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दमयत्रो कुलेबा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्होंने International Court of Justice में याचिका दायर करने का काम किया है. इसमें रूसी सेना के मिलिट्री एक्शन को जल्द रोकने की गुजारिश की गई है.
यूएनजीए में एक दूसरे से भिड़े रूस और यूक्रेन
यूएनजीए में यूक्रेन और रूस के बीच तनाव पर चर्चा के दौरान माहौल गरम नजर आया. यहां रूस और यूक्रेन ने एक दूसरे पर जमकर भड़ास निकाली. एक ओर रूस ने यूक्रेन में अपराध बढ़ने का आरोप लगा दिया. उसने कहा कि यूक्रेन में रूसी सेना ने किसी भी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा रही है. वहीं यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को इस मामले की जल्द सुनवाई करने की जरूरत है. यूक्रेन ने कहा कि रूस आम नागरिकों की जान ले रहा है.
UNHRC की बैठक पर भारत का तटस्थ रुख
काउंसिल की ओर से यूक्रेन मसले पर तत्काल मीटिंग बुलाने का प्रस्ताव दिया गया था जिसमें भारत ने तटस्थ रहने का फैसला किया. मीटिंग के पक्ष में 29 वोट पड़े. वहीं 5 खिलाफ और 13 सदस्यों ने तटस्थ रहने का निर्णय लिया.
*संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फिर बुलाई बैठक*
यूक्रेन के हालात को लेकर संयुक्त राष्ट्र भी एक्टिव मोड में नजर आ रहा है. संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली की इमरजेंसी बैठक के बाद अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी यूक्रेन के हालात को लेकर फिर से बैठक बुलाने का काम किया है.
*जंग छठे दिन भी जारी*
रूस और यूक्रेन के बीच जंग छठे दिन भी जारी है. रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पर लगातार बमबारी कर रही है.
*सूना हुआ 30 लाख की आबादी वाला कीव शहर*
रूसी हमले के डर से लोग यूक्रेन की राजधानी कीव से तेजी से पलायन कर रहे हैं. सोमवार सुबह जैसे ही वीकेंड कर्फ्यू खत्म हुआ, लोग रेलवे स्टेशनों की ओर दौड़ पड़े. कोई मनमाने दाम पर टैक्सियों से स्टेशन पहुंच रहा था, तो कई ऐसे परिवार भी थे, जो बैगों को घसीटते हुए पैदल ही चले जा रहे थे. कीव में लगातार एयर रेड सायरन यानी हवाई हमलों की चेतावनी देने वाले सायरन बज रहे हैं. प्रशासन का कहना है कि या तो लोग घरों के अंदर ही रहें या फिर कहीं सुरक्षित स्थान पर चले जाएं. बता दें कि बीते सप्ताह की शुरुआत तक 30 लाख की आबादी वाले कीव शहर में सामान्य जनजीवन था, लेकिन अब हर किसी को जान बचाने की चिंता है. यूरोप का सातवां सबसे बड़ा शहर युद्ध के साये में खाली पड़ा है.
*दुनिया में नाटो जैसा बने न्यूक्लियर शेयरिंग प्रोग्राम : शिंजो आबे*
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रविवार को कहा कि उनके देश को लंबे समय से जारी एक वर्जना को तोड़ देना चाहिए और परमाणु हथियारों पर सक्रिय बहस शुरू करनी चाहिए. आबे ने नाटो की तरह संभावित न्यूक्लियर-शेयरिंग प्रोग्राम की बात कही है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच आबे की यह टिप्पणी काफी अहम मानी जा रही है. आबे ने कहा, जापान ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया है और तीन गैर-परमाणु सिद्धांत हैं, लेकिन इस पर बात करने के लिए कोई मनाही नहीं है कि दुनिया सुरक्षित कैसे रह सकती है.
*तो शायद रूसी हमले का सामना नहीं करना पड़ता*
जापान टाइम्स के अनुसार, आबे ने कहा कि यूक्रेन ने सोवियत यूनियन से अलग होते वक्त सुरक्षा गारंटी के लिए कुछ परमाणु हथियार रखा होता, तो शायद उसे रूसी हमले का सामना नहीं करना पड़ता. आबे ने कहा कि सरकार लगातार कहती है कि एशिया के सुरक्षा का वातावरण लगातार खराब हो रहा है. इनमें चीन की बढ़ती आक्रामकता और उत्तर कोरिया के परमाणु प्रोग्राम भी शामिल हैं. आबे ने कहा कि नाटो की न्यूक्लियर-शेयरिंग व्यवस्था एक मिसाल है कि जापान उन खतरों को कैसे कम कर सकता है.
*अमेरिका ने रूसी केंद्रीय बैंक पर लगाये नये प्रतिबंध*
अमेरिकी वित्त विभाग ने सोमवार को रूस के केंद्रीय बैंक और सरकारी निवेश कोष पर नये प्रतिबंध लगाये. वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा, हमने जो उल्लेखनीय कदम उठाया है, वह रूस की अपनी गतिविधियों को वित्तपोषित करने को संपत्ति के उपयोग की क्षमता को सीमित कर देगा. वित्त विभाग के अनुसार, इस कदम से रूसी केंद्रीय बैंक अमेरिका या किसी अमेरिकी इकाई से कोई कोष नहीं जुटा पायेगा.