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स्कंदमाता: चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन करें इस विधि से पूजा

 

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surajvarta.in
आस्था धर्म डेस्क

आज बुधवार, 6 अप्रैल 2022 है। चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है. इस दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता का पूजन होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 

संतान प्राप्ति के लिए स्ंकदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है. माता को लाल रंग प्रिय होता है इसलिए इनकी आराधना में लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करने चाहिए. तो, चलिए जान लें इस दिन पर मां की कथा, पूजा विधि और महत्व के बारे में जान लें. 

*मां स्कंदमाता का स्वरूप*
मां स्कंदमाता के की चार भुजाएं होती हैं. इनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय बालरूप में विराजमान होते हैं. इनके एक हाथ में कमल का फूल होता है. बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है. इनका वाहन सिंह होता है. हमेशा कमल के आसन पर स्थित रहने की वजह से इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान में भी वृद्धि होती है. इसलिए इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है.

*मां स्कंदमाता की पूजा*
चैत्र नवरात्रि की पंचम तिथि को स्नान वगैराह करके बाद में माता की पूजा शुरू करें. मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें. इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें. मिष्ठान का भोग लगाएं. माता के सामने घी का दीपक जलाएं. उसके बाद पूरे विधि विधान और सच्चे मन से मां की पूजा करें. फिर, मां की आरती उतारें, कथा पढ़ें और आखिरी में मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें.

*मा स्कंदमाता की कथा*
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि तारकासुर नाम का एक राक्षस था. जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी. तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द जिसका दूसरा नाम कार्तिकेय था. उसको युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप ले लिया था. फिर उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था. मां स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के बाद भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया था. 

*मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व*
ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही माता रानी अगर प्रसन्न हो जाएं तो स्वास्थ्य संबंधी सभी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं. खास तैर से त्वचा से जुड़ा रोग होने पर उसे दूर करने के लिए मां स्कंदमाता की पूरे विधि विधान से पूजा करें. धार्मिक मान्यता के अनुसार मां स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान और आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

*मां का भोग-*
मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

*स्कंदमाता का मंत्र-*
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

*स्कंदमाता की आरती-*
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

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