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आस्था धर्म डेस्क
आज बुधवार 15 जून 2022 है। मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान, बुद्धि व ऐश्वर्य का आगमन होता है. इस बार आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 17 जून 2022 को रखा जाएगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद पाण्डेय के अनुसार आषाढ़ माह के चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है और उनसे जीवन में सभी समस्याओं से मुक्ति पाने की प्रार्थना की जाती है. मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान, बुद्धि व ऐश्वर्य का आगमन होता है. इस बार आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 17 जून 2022 को रखा जाएगा.
*संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि*
*संकष्टी चतुर्थी व्रत:* 17 जून 2022 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा.
*चतुर्थी तिथि प्रारंभ:*
17 जून 2022 सुबह 6:11 बजे
*चतुर्थी तिथि समाप्त:*
18 जून 2022 पूर्वाह्न 2:59 बजे
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 10 बजकर 03 मिनट पर होगा. इस लिए भक्तों को व्रत का पूजन करने के लिए देर रात तक प्रतीक्षा करनी होगी.
*जानिए कैसे करें पूजा*
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. स्नान करने के बाद गणपति की पूजा की शुरुआत करें. सबसे पहले आरती पढ़ें. गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें. भगवान गणपति को तिल, गुड़ के लड्डू, तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन व केले का प्रसाद भगवान गणपति के सामने रखें. इसके अलावा मोदक का भोग जरूर लगाएं. भगवान गणपति की आरती करने के बाद इस मंत्र का जाप करें--- गजाननं भूत गणादि सेवितं , कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् . उमासुतं शोक विनाशकारकम् , नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् .. पूजा संपन्न होने के बाद सबके प्रसाद ग्रहण करने के लिए जरूर दें.
*मोदक और दूर्वा करें अर्पित*
धर्म शास्त्रों के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के समय भगवान गणपति को इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः मंत्र के उच्चारण के साथ 21 गांठें दूर्वा घास को उनके मस्तक पर अर्पित करें. तथा उन्हें मोदक का भोग लगाएं. तो भगवान गणपति भक्त की सारी मनोकामना पूरी करते हैं और भक्तों को इच्छित वर की प्राप्ति का वरदान देते हैं.