suraj varta.in
आस्था धर्म डेस्क
आज गुरुवार 21 जुलाई 2022 है। हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 31 जुलाई 2022 को मनाया जाएगा.
हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही अधिक खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 31 जुलाई 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है और भगवान शिव और माता पर्वती की पूजा करती हैं. आइए जानते हैं हरियाली तीज की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि से जुड़ी संपूर्ण जानकारी.
*हरियाली तीज 2022 शुभ मुहूर्त*
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 31 जुलाई को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है. जो महिलाएं पूजा करना चाहती हैं वे 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक पूजा कर सकती हैं. इसके अलावा प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम के समय 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.
*हरियाली तीज पूजा विधि*
हरियाली तीज के सुबह उठकर स्नान करें.
नए कपड़े पहनकर पूजा करने का संकल्प लेती हैं.
पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं.
अब उन्हें लाल कपड़े के आसन पर बिठाएं.
पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजों रखें, भगवान शिव और माता पार्वती अर्पित करें.
अंत में तीज कथा और आरती करें.
इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं.
*हरे रंग का होता है विशेष महत्व*
हरियाली तीज के दिन हरे रंग की चूड़ियां, हरे वस्त्र, 16 श्रृंगार और मेहंदी लगाने का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर नवविवाहित लड़की को मायके बुलाया जाता है. परंपरा के अनुसार, लड़की के ससुराल से मिठाई, वस्त्र और गहने आते हैं. इस दिन महिलाएं मिट्टी से शिव और पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं.
*हरियाली तीज का महत्व*
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. हरियाली तीज के खास मौके पर महिलाएं झुला झुलती हैं और सावन के गीत गाती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनका कठोर तप देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए थे और हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था. इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है.