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वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व

 

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surajvarta.in
आस्था धर्म डेस्क
आज 08 अगस्त 2022 दिन सोमवार है।वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त, शुक्रवार को है. इस बार व्रत का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि वरलक्ष्मी व्रत के साथ सावन मास की पूर्णिमा का भी संयोग बन रहा है. जानें वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व समेत अन्य जरूरी डिटेल्स.

वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है. वरलक्ष्मी पूजा का दिन धन और समृद्धि की देवी की पूजा करने के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. वरलक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और देवी महालक्ष्मी के रूपों में से एक हैं. वरलक्ष्मी को दूधिया सागर से अवतरित माना जाता है. इस बार वरलक्ष्मी व्रत 12 अगस्त, शुक्रवार को है. आगे पढ़ें वरलक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.
भक्तों को वरदान देता है देवी का वरलक्ष्मी रूप
ऐसा माना जाता है कि देवी का वरलक्ष्मी रूप वरदान देता है और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है. इसलिए देवी के इस रूप को वर+लक्ष्मी यानी वरदान देने वाली देवी लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है.

*वरलक्ष्मी पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त*
इस बार पूजा के चार मुहूर्त हैं जब निश्चित लग्न प्रबल होता है. वरलक्ष्मी पूजा के लिए कोई भी उपयुक्त समय चुना जा सकता है. हालांकि, शाम का समय जो प्रदोष के साथ आता है, देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.
वरलक्ष्मी व्रतम् शुक्रवार, अगस्त 12, 2022 को
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - 06:14 सुबह से 08:32 सुबह तक
अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स

*वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त* (अपराह्न) - 01:07 शाम से 03:26 बजे शाम तक
अवधि - 02 घण्टे 19 मिनट्स
कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) - 07:12 शाम से 08:40 बजे शाम तक
अवधि - 01 घण्टा 27 मिनट्स
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 11:40 रात्रि से 01:35 बजे रात्रि, अगस्त 13
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट्स

*वरलक्ष्मी पूजा सामग्री*
Goddess Varalakshmi statue (श्री वरलक्ष्मी जी की प्रतिमा)
Flowers garland (पुष्प माला)
Kumkum (कुम्कुम)
Turmeric (हल्दी)
Sandal powder (चन्दन चूर्ण)
Vibhuti (विभूति)
Mirror (दर्पण)
Comb (कंघा)
Mango leaves (आम के पत्ते)
Flowers (पुष्प)
Betel leaves (पान के पत्ते)
Panchamrita (पञ्चामृत)
Curd (दही)
Banana (केले)
Milk (दूध)
Water(जल)
Agarbatti (अगरबत्ती)
Moli (मोली)
Sambrani (धूप)
Camphor (कर्पूर)
Small Puja bell (घन्टी)
Prasad (प्रसाद)
Small oil lamp (दीपक)
Unbroken rice (अक्षत)

*वरलक्ष्मी पूजा विधि*
वरलक्ष्मी पूजा विधि में पूजा के चरण दीवाली के दौरान महा लक्ष्मी पूजा के समान हैं. हालांकि इसमें पूजा के चरण और दोरक और वायना के लिए मंत्र शामिल हैं. वरलक्ष्मी पूजा के दौरान जो पवित्र धागा बांधा जाता है उसे दोरक के रूप में जाना जाता है और वरलक्ष्मी को अर्पित की जाने वाली मिठाई को वायना कहते हैं.
वरलक्ष्मी पूजा का महत्व
वरलक्ष्मी पूजा ज्यादातर विवाहित महिलाओं द्वारा पति और परिवार के अन्य सदस्यों की भलाई के लिए की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी वर-लक्ष्मी की पूजा करना अष्टलक्ष्मी यानी धन की आठ देवी (श्री), पृथ्वी (भू), विद्या (सरस्वती), प्रेम (प्रीति), प्रसिद्धि (कीर्ति), शांति (शांति) , खुशी (तुष्टि) और शक्ति (पुष्टि) की पूजा करने के बराबर है.

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(Note: You can contact the astrologer of surajvarta Pandit Anand Pandey on mobile number-99361 47150 for the solution of your problems.)

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