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पुलिस की शान वर्दी और टाेपी... फिर भी जवान से लेकर अफसर तक को है परहेज

 ड्यूटी के दौरान भी नहीं पहनते टोपी

टोपी हमारी शान और पहचान है -सीओ मेजा




मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

पुलिस की शान उसकी वर्दी और टोपी... इसी के भरोसे तो आम लोग उन्हें कानून का रखवाला मानते हैं। फिर सिर-माथे रखी जाने वाली टोपी के तो क्या कहने... लेकिन अफसोस पुलिस में सिपाही से लेकर अफसर तक टोपी पहनने से परहेज करने लगे हैं। नतीजा, वे उसे मरोड़कर कमर से लगे बेल्ट या फिर जेब में ठूंस लेते हैं। कोई बाइक के हैंडल में लटकाकर रखता है तो कोई उसमें लगे बैग में डाल देता है। थानों तक में इन्हें यहां-वहां टेबल पर पड़े देखा जा सकता है। यह अनुशासनहीनता भी है और टोपी का अपमान भी।


पुलिस के लिए टोपी पहनना उतना ही जरूरी है जितना पेंट-शर्ट, वर्दी पर नेम प्लेट, नंबर बैज, बेल्ट और जूते-मोजे। इनमें से कोई एक मौजूद न हो तो वर्दी पूरी नहीं मानी जाती।इसके लिए ट्रेनिंग के दौरान खूब पाठ पढ़ाया जाता है। खाकी यूनिफॉर्म है पुलिस की आन बान शान है। ट्रेनिंग में खासतौर पर इसकी जानकारी भी दी जाती है।इसका महत्व समझाया जाता है। इसके बाद सेवा में आते ही उन्हें कैप पहनना अच्छा नहीं लगता। इस संवाददाता  ने इसकी हकीकत जानने की कोशिश की तो बिना टोपी मिले पुलिसकर्मियों व उपनिरीक्षकों द्वारा बहाने के ढेर लग गए। वह भी ऐसे कि इनकी गंभीरता पर सवाल खड़े हो जाते हैं।

 


किसी ने कहा भईया खास मौकों या अफसरों के सामने जाने पर ही टोपी पहनते हैं। दिनभर पहनेंगे तो लोग ठोला कहना शुरू कर देंगे।

थाने में रोजनामचा लिख रहे हेड काॅन्स्टेबल के सिर पर भी टोपी नहीं रहती। कोई भी आए-जाए उन्हें मतलब नहीं, अफसरों की आमद होती है तो उसके पहले पहन लेते हैं।


एक सिपाही ने यहां तक कहा कि कैप पहनकर ड्यूटी करने से सिर में हवा नहीं लगती। पसीना बहता है। अफसरों के गुजरने के बारे में पहले से पता चल जाता है।

जब उनकी गाड़ी नजर आती है तो पहनकर सामने खड़े हो जाते है। एक


सिपाही के अनुसार दिन भर टोपी पहनना अच्छा नहीं लगता। बाल गड़बड़ हो जाता है।अधिकारी जैसे ही आनेवाले होते है या प्वॉइंट ड्यूटी होती है तो इसे पहनना पड़ता है। चाहे संपूर्ण समाधान दिवस हो,समाधान दिवस या फिर अन्य मौके।
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सिपाही से लेकर अधिकारी तक टोपी पहनने से गुरेज करते हैं।वर्तमान समय में नवागंतुक सीओ मेजा विमल कुमार मिश्र इस मामले में मिशाल बनकर दस्तक दी है।ड्यूटी पिरियेड में तो टोपी सिर पर ही सुशोभित रहती है।यहां तक की आप अपने वाहन में हैं तो टोपी सिर पर।आफिस में हो या फिर अन्य स्थानों पर ड्यूटी के दौरान उनकी टोपी वर्दी की शोभा बहाने में चार चांद का काम करती है।

बता दें कि प्रदेश में सिपाही से लेकर निरीक्षक तक की कैप खाकी रंग की होती है।उसके ऊपर के अधिकारियों की नीली टोपी होती है।पहले सिपाही की टोपी फोल्डिंग हुआ करती थी।अब उसमें बदलाव कर दिया गया है।यह बदलाव 2018 में स्मार्ट पुलिसिंग विद स्मार्ट पुलिस मैन की योजना के तहत किया गया।काॅन्स्टेबल से इंस्पेक्टर की टोपी खाकी बैरेट टोपी (गोल)कहलाती है।लेकिन दरोगा स्मार्ट बनने के चक्कर में पी कैप पहनते हैं।जबकि फील्ड में काम करने वाले दरोगा के लिए बैरेट टोपी पहनने के आदेश हैं। सीओ और उससे ऊपर डीजी तक की टोपी नीली बैरेट कैप कहलाती हैं।

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