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प्रयागराज : घायल मजदूर एसआरएन मे खुद के खर्च से करा रहे इलाज

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। हटिया हादसे के घायलों को सरकारी अस्पताल में निशुल्क इलाज की सुविधा का फरमान धरातल पर खोखला ही नजर आया। एसआरएन अस्पताल में घायलों को दवा व जांच का खर्च भी अपनी जेब से देना पड़ रहा है। घायलों के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इलाज के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ रहा है। मंगलवार दोपहर हादसे के बाद दस घायलों को अस्पताल लाया गया था। जिसमें से चार की मौत हो गई और एक मरीज ने बाद में दम तोड़ दिया। यहां भर्ती घायलों में मो. इकराम जो कि बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी है, मंगलवार दोपहर एक बजे बिना बताए अस्पताल से गायब हो गया। वहीं चार अन्य घायलों का इलाज चल रहा है। इसमें दिहाड़ी मजदूर अनीस आदिवासी और विनोद कुमार भी हैं। इनके परिजनों ने बुधवार को बताया कि उन्हें डॉक्टरों ने बाहर की दवा लिखी। इसके अलावा खून की जांच का पैसा भी उन्हें देना पड़ा। इनके अलावा बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी हरीशचंद्र पटेल और संगमलाल ने भी निजी अस्पताल में इलाज के दौरान पूरा खर्च खुद ही उठाया। इनका कहना है कि एसआरएन अस्पताल में भी इलाज और जांच का खर्च वे खुद ही उठा रहे हैं। जब यह शिकायत मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी के सामने पहुंची तो उन्होंने जिलाधिकारी से बात कर कार्रवाई की मांग उठाई। 

डॉक्टर ने मुझे 700 रुपये की दवा बाहर से लिखी और 425 रुपये ब्लड की जांच के लिए। - हरीश चंद्र पटेल, घायल बिजली संविदा कर्मचारी।


जब डॉक्टर ने मुझे 1450 रुपये की दवा बाहर से लाने को कहा तो मेरे भाई के पास सिर्फ एक हजार रुपये ही थे। उसने किसी से 450 रुपये कर्ज लिए। तब जाकर दवा मिली। - अनीस आदिवासी, घायल मजदूर।

जिस मकान का छज्जा गिरी, उसी मकान में मैं रहता हूं और मेरी पान की दुकान है। डॉक्टरों ने बाहर से 1400 रुपये की दवा मंगवाई। इसके अलावा ड्रेसिंग तक बदलने कोई नहीं आ रहा है। - नीरज केसरवानी, घायल पान व्यवसायी।

बताया गया था कि एसआरएन अस्पताल में निशुल्क इलाज होगा, मगर यहां तो 4000 रुपये दवा और जांच के नाम पर ले लिए गए। अब मेरे पास पैसे नहीं बचे हैं। मेरे रिश्तेदार ही इलाज करा रहे हैं। - विनोद कुमार बिंद, घायल मजदूर।


मैंने निर्देश दिए हैं कि इस तरह की शिकायत सामने नहीं आनी चाहिए। सभी मरीजों का इलाज निशुल्क होना चाहिए। - डॉ. अजय सक्सेना, प्रमुख अधीक्षक, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल।

जब यह शिकायत मेरे सामने आई तो मैंने डीएम से बात की और मांग की है कि जो लोग इस तरह का काम कर रहे हैं, उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। - अभिलाषा गुप्ता नंदी, महापौर, प्रयागराज।

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