लखनऊ (राजेश सिंह)। प्रदेश में नए डीजीपी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लौटा दिया है। आयोग ने राज्य सरकार से पूछा है कि मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूरी करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया गया या नहीं?
आयोग ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति के लिए 22 सितंबर 2006 को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में 29 जून 2021 को यूपीएससी में बैठक हुई थी और तीन वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों का पैनल राज्य सरकार को भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में नियुक्त किए गए डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए।
अगर इसके बीच में वह रिटायर हो रहा हो तब भी नियुक्त किए गए डीजीपी को दो वर्ष का कार्यकाल दिया जाएगा। दो वर्ष के न्यूनतम कार्यकाल से पहले डीजीपी को हटाने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने शर्तें तय की है। इसमें अखिल भारतीय सेवा नियमों के उल्लंघन पर की गई कार्रवाई होने, आपराधिक मामले में न्यायालय द्वारा सज़ा सुनाए जाने, भ्रष्टाचार का मामला साबित होने या अपने कर्तव्यों के निर्वहन में अक्षम होने पर डीजीपी को हटाया जा सकता है।
आयोग ने कहा है कि अगर उपरोक्त में से कोई मामला मुकुल गोयल के खिलाफ है तो उसके दस्तावेज दिए जाएं और अगर नहीं है तो क्या मुकुल गोयल को हटाया जाना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना नहीं है?
इतना ही नहीं आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए उन सभी अधिकारियों का स्व प्रमाणित (सेल्फ एटेस्टेड) बायोडाटा उपलब्ध कराया जाए जिन की सेवा अवधि 30 साल पूरी हो चुकी है और वह एडीजी रैंक से कम न हों।
बता दें राज्य सरकार ने 11 मई 2022 को प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को अकर्मण्यता के आरोप में पद से हटा दिया था और उनका स्थानांतरण जनहित में डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर कर दिया गया था। 13 मई को डीजी इंटेलिजेंस डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।