प्रयागराज (राजेश सिंह)। चार साल, चार यातायात माह और सड़क सुरक्षा सप्ताह। मगर नो पार्किंग का लगा बोर्ड अब तक नहीं बदला जा सका है। इतना ही नहीं, कई बच्चे खतरनाक बोर्ड की चपेट में आने से चुटहिल हो चुके हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस से लेकर दूसरे जिम्मेदार विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह हाल तब है, जब एक बार फिर यातायात माह की शुरुआत करते हुए सड़क हादसों को कम करने का दावा किया जा रहा है। सिविल लाइंस स्थित सुमित्रा नंदन पंत बाल उद्यान (हाथी पार्क) के बाहर कमला नेहरू रोड से सटा हुआ एक बड़ा पेड़ है। उसी पेड़ के सहारे लोहे का एक बोर्ड लगाया गया है, जिसमें गाड़ी को रोकने और खड़ा करने पर मनाही की बात लिखी गई है। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, इलाहाबाद अंकित किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है जिले का नाम अक्टूबर 2018 में बदलकर प्रयागराज कर दिया गया, लेकिन बोर्ड में कोई बदलाव नहीं किया गया। ऐसा ही कुछ हाल कई अन्य स्थानों पर भी है। इसको लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों की मंशा और कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी दशा में सड़क दुर्घटना को कम करने का प्रयास कितना सार्थक हो सकेगा। सरायइनायत में वाराणसी मार्ग पर हबूसा मोड़ है। इसे कुछ स्थानीय लोग और रोजाना आने-जाने वाले लोग हादसे का मोड़ के नाम से भी पुकारने लगे हैं। यहां न तो कोई संकेतक लगा है और न रेडियम। इतना ही नहीं, सड़क भी ट्रैफिक इंजीनियरिंग के अनुसार नहीं है। सड़क के बायीं और दायीं ओर ऊंचाई है, जबकि बीच में गड्ढे हैं, जो हादसे का सबब बनते हैं। हबूसा मोड़ पर तिराहा है, जहां रात में वाहन चालकों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। यहां लगे बड़े गेट पर बैनर लगा दिया गया है, जिससे दिशा का पता नहीं चला पाता है।
एसपी ट्रैफिक अरुण कुमार दीक्षित का कहना है कि संकेतक, यलो टेप सहित अन्य व्यवस्था करने के लिए कई बार नगर निगम व जिला पंचायत को पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन कोई काम नहीं हुआ है। ट्रैफिक पुलिस के पास बजट का अभाव रहता है।