नारी बारी, प्रयागराज (मंगला प्रसाद तिवारी)। भगवान सहज भाव से प्राप्त नही होते। मनुष्य को निरंतर जब तक संकल्प पूरा ना हो और भगवान की कृपा प्राप्त ना हो तब तक कथा को भाव से सुननी चाहिए। कथा सुनते वक्त मन की एकाग्रता जरूरी है। व्यक्ति को निंदा और आलोचना से कभी व्यथित नही होना चाहिए अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक करते चले-चलना चाहिए। भगवान परीक्षा से नही भगवान प्रतीक्षा से मिलते है। जिस दिन व्यक्ति मे समर्पण का भाव आ जाएगा उस दिन भगवान की कृपा प्राप्त हो जाएगी। उक्त बातें रविवार को नारीबारी मे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य पंडित अभिषेक कृष्णम् हरिकिंकर जी महाराज ने मुख्य यज्ञमान विजय बहादुर श्रीवास्तव व फूल कुमारी श्रीवास्तव एवं भक्तों को सुनाते हुए कही।
भोले शिवशंकर-माता पार्वती,द्रौपदी के पुत्रो की कथा,गर्भ मे परिक्षित रक्षा,श्री कृष्ण की स्तुति पांडवो द्धारा,भीष्म जी का प्राणत्याग आदि की कथा सुनाते हुए कहा मोर ही एक पक्षी है जो कामी नही होता निष्कामी होता है। इसी लिए भगवान सिर मे बिठाते है। आचार्य पंडित अभिषेक ने कहा पति के हृदय की बात पता ना हो तो वह कैसा प्रेम, पति की सेवा ही भगवान की सच्ची सेवा है। माता पिता किसी का अनहित नही कर सकते। पत्नियो को मांग मे भरपूर सिन्दूर भरने से पति की आयू बढ़ती है। माताओ की बाणी मधुर और नम्र होनी चाहिए। श्रीमद्भागवत कथा की भक्ति संगीत माया माया सब भजै, माधव भजै ना कोय। हरि अंनत हरि कथा अनंता, मन की तरंग मान लो, बस हो गया भजन,आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन आदि भजनो ने भक्तो को खूब झुमाया। कथा मे आचार्य राजीव तिवारी, आचार्य राकेश, पं.शिवशंकर, दिवाकर दास, पुजारी रमेश दास, दिलीप कुमार चतुर्वेदी, कृष्ण भाष्कर चतुर्वेदी, चिंतामणि मिश्र, सुधाकर सिंह, इन्द्रमणि चतुर्वेदी, बैजनाथ केसरवानी, दीपक श्रीवास्तव, रमेश.सोनी, रमेश केसरवानी आदि के साथ भारी सख्यां मे महिला पुरुष भक्तगण उपस्थित रहे।