प्रयागराज (राजेश सिंह)। अनचाहे नवजात शिशुओं के लिए स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के पास आश्रय पालना स्थल बनाया जा रहा है। मंगलवार को मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह, प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर अजय सक्सेना, उप अधीक्षक डॉक्टर गौतम त्रिपाठी और एबीवीपी के विभाग संगठन मंत्री राकेश मौर्य ने आश्रय पालना स्थल का भूमि पूजन किया। महेशाश्रम, मां भगवती विकास संस्थान, उदयपुर द्वारा अपने जीवन संरक्षण अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के सात जिलों लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, मेरठ, प्रयागराज, झांसी, और कानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेजों के महिला चिकित्सालयों में आश्रय पालना स्थल की स्थापना की जा चुकी है।
यह आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त होंगे। पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के 2 मिनट बाद चिकित्सालय के स्वागत कक्ष में अपने आप घंटी बजेगी। इस बीच दो मिनट के समय में छोड़ने वाला व्यक्ति आसानी से वहां से जा सकेगा। जो भी व्यक्ति आश्रय पालना में नवजात शिशु को सुरक्षित छोड़ता है, उसकी पहचान पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाएगी। उसके विरुद्ध पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई जाएगी। घंटी बजने के दो मिनट बाद स्वागत कक्ष में मौजूद चिकित्साकर्मियों द्वारा शिशु की मेडिकल जांच की जाएगी। इसके अलावा शिशु को दूध पिलाना, साफ सफाई करना, स्वच्छ कपड़े पहनाना आदि की व्यवस्था होगी। स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय में बुधवार को दोपहर एक बजे सांसद केशरी देवी पटेल, सांसद रीता बहुगुणा जोशी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक आश्रय पालना स्थल का लोकार्पण करेंगे।
शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा। जिला बाल कल्याण समिति द्वारा शिशु को आवश्यकतानुसार गोद लेने के लिए विधिक रुप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। यह कार्रवाई केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा की जाएगी। जिला न्यायालय द्वारा उस शिशु को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वास कर दिया जाएगा।
आश्रय पालना स्थल के लाभ
1. समस्त अनचाहे नवजात शिशु को जीने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा।
2. इच्छुक दंपती इन मासूम को विधि अनुरूप गोद ले कर अपना परिवार पूरा कर सकेंगे।
3. हर मासूम को स्वस्थ, सुरक्षित एवं खुशनुमा माहौल में स्नेह व सम्मान के साथ विकसित होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
4. अच्छी परवरिश से आने वाले कल यह मासूम समाज एवं राष्ट्र के लिए अमूल्य संपत्ति बन सकेंगे।
अनजाहे नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा को लेकर एसआरएन में बाल रोग विशेषज्ञों की टीम उसका स्वास्थ्य का परीक्षण करेगी। - डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज
जीवन संरक्षण अभियान के तहत प्रदेश में इन आश्रय पालना स्थलों की स्थापना की जा रही है। पिछले एक साल में 29 अनचाहे शिशुओं को विभिन्न स्थानों पर छोड़ा गया है। यह सभी बेटियां हैं। - गुरु देवेंद्र अग्रवाल, योग गुरू, महेशाश्रम, मां भगवती विकास संस्थान उपदयपुर, राजस्थान।