प्रयागराज (राजेश सिंह)। देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ के प्रिय मास सावन का शुभारंभ होने के साथ ही संगमनगरी में मंगलवार को भक्ति की धारा प्रवाहित होने लगी है। इसी के साथ दशाश्वमेध घाट से 59 दिन के लिए कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हो गया। पहले दिन सैकड़ों की तादाद में कांवड़िये गंगा जल भरकर काशी विश्वनाथ धाम और बाबा बैजनाथ धाम जलाभिषेक के लिए रवाना हो गए। इस दौरान बोल बम के जयकारों से यात्रा पथ गूंजता रहा। दो साल बाद सावन में देवाधिदेव महादेव के जलाभिषेक के लिए कांवड़ यात्रा शुरू हो गई। बाबा के जलाभिषेक के लिए गांव-गांव से भोले भक्त निकल पड़े हैं। इस बार दशाश्वमेध घाट पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रकाश की भव्य व्यवस्था की गई है। मंगलवार को दारागंज से लेकर संगम तक कांवड़ियों का रेला उमड़ा। हर तरफ बोल बम के जयकारे गूंजते रहे। आजमगढ़, गाजीपुर, ललितपुर के अलावा जौनपुर, मध्यप्रदेश के रीवा समेत कई इलाकों से कांवड़िये दशाश्वमेध घाट पहुंचे।
रंग-बिरंगी कांवड़ के साथ ही ध्वजा-पताकाओं से सजे वाहनों से भोलेभक्त यहां पहुंचने लगे हैं। जल भरने के साथ ही तीर्थपुरोहितों की चौकियों पर संकल्प लेकर भक्त बाबा धाम के लिए रवाना हुए। कोई नौकरी की कामना लेकर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने निकला है तो कोई अच्छी खेती और बिटिया की अच्छे परिवार में शादी की मनौती लेकर। तीर्थपुरोहित छोटे मिश्रा बताते हैं कि घाट पर भीड़ का दबाव बढ़ने लगा है। समतलीकरण के साथ ही तट के दूसरे हिस्सों में भी बालू की बोरियां बिछाई जानी चाहिए, ताकि भक्तों को फिसलन का सामना न करना पड़े।
दशाश्वमेध घाट मंगलवार को कांवड़ियों से पटा रहा। घाट पर जल पुलिस के साथ ही एसडीआरएफ के जवानों की टीमें लगाई गई हैं, ताकि कोई गहरे पानी में न जाने पाए। जलमार्ग पर गश्त शुरू हो गई है। दूर से आए कांवड़ियों को जेटी के भीतर ही रहकर डुबकी लगाने की सलाह दी जाती रही। प्रशिक्षित गोताखोरों को भी घाट पर लगाया गया है, ताकि किसी तरह की अनहोनी को समय रहते रोका जा सके।
दशाश्वमेध घाट पर बहने वाले नालों को बंद कर दिया गया है। रात को दूधिया रोशनी बनी रहे, इसके लिए घाट पर हाई मास्ट लगा दिए गए हैं। सफाई टीमें लगाई गईं हैं, ताकि भक्तों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।