मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
विकास खंड मेजा के राजस्व ग्राम नारि ग्राम पंचायत पथरा में स्थित तालाब संख्या -63जिसका रकबा 33बीघा के करीब है। अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रहा है। हालांकि प्रशासन द्वारा अतिक्रमण कर्ताओं के विरुद्ध 122बी के तहत कार्रवाई कर दी गई थी, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया जाना है। ग्रामीणों की माने तो ग्राम लेखपाल व अतिक्रमण कर्ताओं का माधुर्यपूर्ण संबंध हाईकोर्ट के आदेश को भी चुनौती दे रहा है। तालाब के बगल में स्थित चकदारो का कहना है कि जितने लोगों का तालाब पर अतिक्रमण है वह सभी भूमिधर है। सबके पास पुस्तैनी भूखंड है। बावजूद इसके यह जानते हुए भी कि तालाबों पर अतिक्रमण करना अपराध है फिर भी 33बीघे रकबा वाले तालाब को स्तित्वहीन बना दिया गया है। जनसुनवाई फाउंडेशन के जनपद प्रभारी अधिवक्ता विवेक सिंह का कहना है कि मेजा तहसील के अन्तर्गत आने वाले कई ऐसे गांव हैं जहां कागजों पर तो कई तालाब हैं किन्तु स्थल पर उनका स्तित्व खतरे में है। जब कोई जागरूक ग्रामीण तालाबों को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत होता है तो अतिक्रमण कर्ताओं के सह पर हल्का लेखपाल द्वारा अतिक्रमण मुक्त होने की मनगढ़ंत रिपोर्ट अग्रसारित कर दी जाती है। सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार से उद्यम को बढ़ावा देते हुए तालाबों को भी मत्स्य पालन करने के लिए शासनादेश जारी किया है। जिससे की रोजगार सृजित हो सके। किंतु भूमाफियाओं एवं राजस्व कर्मचारियों की साठ-गांठ की वजह से दिन-प्रतिदिन तालाबों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।जो कि शासन -प्रशासन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए एक चुनौती है। नवचारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक राजकुमार मिश्र ने कहा कि यदि वास्तव में तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराकर ग्रामीणों से मत्स्य पालन कार्य कराया जाय तो निश्चित ही ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और राजस्व में बृद्धि होगी। किन्तु शासन द्वारा अनवरत प्रयास के बावजूद न तो तालाबों की सफाई हो पा रही है न ही अबैध कब्जा हटाया जा रहा है। नजीर के तौर पर सर्वाधिक 52तालाबों की ग्राम पंचायत भइयां में अतिक्रमण कर्ताओं द्वारा आज भी अतिक्रमण किया जा रहा है और प्रशासन मौन है। जिससे यह प्रतीत होता है कि लेखपाल की भूमिका निहित स्वार्थ में अतिक्रमण को बढ़ावा देने की है।