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चंद्रयान-3 को विकिरण से बचाने में अंजू ने निभाई अहम भूमिका, प्रयागराज से इसरो में जुड़ने वाली महिला वैज्ञानिक

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प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। चंद्रयान को अंतरिक्ष में वैन एलन रेडिएशन बेल्ट के हानिकारक विकिरण से बचाकर चंद्रमा तक पहुंचाने में प्रयाराज की अंजू चतुर्वेदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसरो के मेटेरोलाजिकल एवं अर्थ आब्जर्वेटरी उपग्रह समाकलन की उप परियोजना निदेशक अंजू और उनकी टीम ने साफ्टवेयर सिमुलेशन की मदद से चंद्रयान को विकिरण से बचाने के लिए मानक तय किए और टीम की मदद से ऐसा करने में कामयाब हुईं। चंद्रयान-तीन सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कर गया।

प्रयागराज से इसरो में जुड़ने वाली हैं प्रथम महिला वैज्ञानिक

अंजू प्रयागराज से इसरो में जुड़ने वाली प्रथम वैज्ञानिक महिला हैं। यहां के डीपी गर्ल्स स्कूल की मेधावी छात्रा रहीं अंजू ने 1997 में गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक किया। ओम गायत्री नगर निवासी अंजू पहले अलोपीबाग में रहती थीं। उनके पिता महेंद्र चतुर्वेदी पूर्व आडिट आफिसर हैं। दादा जनकदेव चतुर्वेदी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वर्ष 1998 में इसरो में पदभार ग्रहण करने के बाद प्रारंभ में प्रथम क्रायोजेनिक इंजन टेस्टिंग के कंट्रोल सिस्टम एवं डाटा अभिग्रहण पर कार्य किया।

वे पिछले 25 वर्षों से अनेक उपग्रहों का रियलाइजेशन कर रहीं हैं। अंजू के अनुसार, वैन एलन रेडिएशन बेल्ट अंतरिक्ष का वह क्षेत्र होता है, जहां हानिकारक विकिरण मौजूद होते हैं। इससे अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुंच सकता है और उपकरण के भी खराब होने खतरा रहता है। हालांकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के कारण यह विकिरण धरती पर नहीं पहुंच पाते हैं। बताया कि सूर्य या इंटरस्टेलर (अंतरताकरीय) अंतरिक्ष से आने वाले कणों के विकिरण मैग्नेटोस्फियर में इलेक्ट्रान त्वरण से अत्यधिक उर्जा हासिल कर लेते हैं। सिमुलेशन के जरिए कंप्यूटर डाटा के आधार पर वैन एलन रेडिएशन बेल्ट से गुजरने पर विकिरण के प्रभाव का अध्ययन किया गया।

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