प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। चंद्रयान मिशन की सफलता में मुख्य भूमिका निभाकर सूर्य के अध्ययन को भेजे जा रहे आदित्य मिशन में शामिल रवि केसरवानी की बहन शालू भाई की उपलब्धि से उत्साहित हैं।
परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए रवि के पिता ने उन्हें पुणे भेजा। शालू कहती हैं कि भाई पहले पढ़ाई के लिए दूर चले गए और फिर इसरो में नौकरी लग गई तो वह रक्षाबंधन पर नहीं आ पाते थे। इस बीच वह भाई को भी राखी नहीं बांध सकीं।
12 साल बाद बहन ने बांधी थी राखी
राखी बांधने के लिए 12 वर्ष इंतजार किया और शादी के एक वर्ष बाद 2017 में भाई को राखी बांधी। बताया कि रवि पढ़ने में काफी होनहार रहे हैं। कई बार जब वह इसरो में अपने काम के बारे में बताते तो बात मेरे सिर से ऊपर से निकल जाती।
भाई की इसरो में नौकरी लगने के एक वर्ष बाद 2016 में उनकी शादी हुई। शादी में भाई पहुंचे पर रक्षाबंधन पर नहीं था। मैं बुलाती तो वह कहते कि जितने वर्ष राखी नहीं बांधी, उतने वर्ष की राखी एक साथ बांध लेना। बोलीं कि पिछले वर्ष जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो भाई 21 दिनों तक अस्पताल में रहे। उन्होंने पिता के सपने को पूरा किया। चंद्रयान के चंद्रमा की धरती पर उतरने के बाद मैने भाई को फोन किया और उपलब्धि के लिए बधाई दी।