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राष्ट्रपति भवन में डिनर, सांस्कृतिक संध्या, राजघाट का दौरा, जी 20 शिखर सम्मेलन में क्या होने वाला है खास, संयुक्त घोषणा-पत्र जारी करने पर बनेगी बात?

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जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत के लिए कूटनीतिक स्तर से लेकर सुरक्षा स्तर तक बड़ी चुनौती थी। देश के 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक कार्यक्रम हो रहे हैं, जो जी20 के इतिहास में एक कीर्तिमान है..

नई दिल्ली। जर्मन लोग जी7 के जी20 बनने को ज़िटेनवेंडे यानी एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में वर्णित करते हैं। निःसंदेह इस विस्तार का कुछ जी7 देशों ने गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया। लेकिन अगले महीने दिल्ली में होने वाली जी20 बैठक भारत द्वारा दुनिया के सबसे पदानुक्रमित समाज की बंजर भूमि पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्माण का जश्न मनाती नजर आ रही है।  यह हमारी विस्तारित आर्थिक स्वतंत्रता औपचारिकीकरण, औद्योगीकरण, वित्तीयकरण, शहरीकरण और मानव पूंजी का भी जश्न  है, जिसकी मदद से भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। चीन के विपरीत, जिसने अपने नागरिकों को अपनी जेब और आजादी के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया, भारत जन समृद्धि के साथ जन लोकतंत्र के संयोजन के गांधीजी के सपने के पहले से कहीं अधिक करीब है।

एक महीने से भी कम समय (9-10 सितंबर) में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के नेता जी20 शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली में होंगे, जो इतिहास में पहली बार किसी भारतीय राष्ट्रपति के संरक्षण में आयोजित किया जाएगा। जबकि शिखर सम्मेलन निस्संदेह वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले कई सबसे गंभीर मुद्दों को संबोधित करेगा, एक विषय को बहस के केंद्र में रखा गया है। इस वर्ष की जी20 थीम, ष्वसुधैव कुटुंबकमष् या ष्एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्यष् से प्रेरित है

जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत के लिए कूटनीतिक स्तर से लेकर सुरक्षा स्तर तक बड़ी चुनौती थी। देश के 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक कार्यक्रम हो रहे हैं, जो जी20 के इतिहास में एक कीर्तिमान है। सितंबर में शिखर सम्मेलन है। हालांकि, अब भी कूटनीतिक चिंता जारी है। भारत अंतिम समय में सभी देशों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है, जिससे शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त घोषणा-पत्र जारी हो। इसके लिए सभी देशों से पिछले कुछ दिनों से लगातार संपर्क बना हुआ है और दावा किया जा रहा है इसमें सफलता मिल जाएगी।

जी20 सम्मेलन के लिए सभी राष्ट्राध्यक्ष 8 सितंबर तक दिल्ली आ जाएंगे और 10 सितंबर को उनकी वापसी शुरू हो जाएगी। सम्मेलन 9-10 सितंबर को है। सम्मेलन के अलावा राष्ट्राध्यक्षों के लिए तीन बड़े आकर्षण होंगे। पहला राष्ट्रपति भवन में डिनर । दूसरा सांस्कृतिक संध्या और तीसरा किसी एक सार्वजनिक स्थल का एकसाथ दौरा। एक स्थल राजघाट हो सकता है। 

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