"प्रकृति संरक्षण दिवस" के रूप में मनी स्वामी अनंत दास महाराज की पुण्यतिथि, हुआ पौधरोपण
मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
अन्तर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर ट्रस्ट ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अनोखी पहल प्रारंभ की है। ब्रह्मलीन स्वामी अनंत दास महाराज जी की पुण्यतिथि को अब प्रकृति संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाएगा। भइयां स्थिति श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर के महंत श्री ब्रह्मानंद दास महाराज जी ने गीतोपदेश का संदर्भ देते हुए बताया कि श्रीकृष्ण का उपदेश प्रकृति संरक्षण का भी आदेश देता है। गीता के नौवें अध्याय का 26वां श्लोक प्रकृति उपासक सनातन संस्कृति का परिचायक है, जिसमें भगवान कह रहे हैं कि पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति। तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:।
अर्थात जो भक्त भक्तिभाव से मुझे पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पित करता है, उस पवित्र मन व भक्तिभाव से अर्पण की भेंट को मैं स्वीकार करता हूं।
परम ब्रह्म स्वयं यह कह रहे हैं कि उन्हें पत्र, पुष्प, फल और जल अति प्रिय है। क्या बिना वृक्ष के यह संभव है। और जल संरक्षण के लिए भी वृक्ष अत्यावश्यक हैं। श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर के पीठाधीश्वर श्री ब्रह्मानंद जी महाराज ने कहा कि पूर्व महन्त ब्रह्मलीन अनंत दास जी की पुण्यतिथि पर हमें प्रकृति संरक्षण का संकल्प लेकर ईश्वर भक्ति का सहज उपक्रम करना चाहिए।अनंत दास महाराज द्वारा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के उपदेश का भरपूर पालन किया गया था। तपस्थली कुटी क्षेत्र में न केवल समृद्ध वृक्षों से आच्छादित उपवन है, वरन एक सदानीरा कूप भी यहां परमहंस गोपालमणि महराज जी द्वारा निर्मित है।
ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण विषय पर जागरूक करते हुए श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री अवधेश कुमार मिश्र ने कहा कि आजादी के बाद हमारे देश में 600 पेड़ प्रति व्यक्ति का औसत था, किन्तु वर्तमान में 1600 व्यक्तियों पर एक पेड़ की संख्या रह गयी है। जिसका परिणाम है कि समय पर बारिश नहीं हो रही है। यदि भयंकर अकाल से बचना है तो हमें संकल्प लेना होगा कि प्रति व्यक्ति कम से कम 100 पौधरोपण करते हुए अपने जीवन काल में पेड़ों को तैयार करें।
ग्रामीणों ने बताया कि श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर के पूर्व महन्त श्री अनंत दास जी महराज का पेड़ों के प्रति इतना लगाव था कि परमहंस महाराज जी की तपोस्थली कुटी पर वृक्षों के नीचे जड़ों पर मिट्टी का चबूतरा बनवाने हेतु उन्होंने ग्रामीणों को प्रेरित किया और चबूतरे को गोबर से लेपित करवाते हुए सप्तदिवसीय पारायण पाठ का आयोजन कराया था। ऐसे महापुरुष का धामगमन सन 2011 में हुआ था। उनकी पुण्यतिथि पर उनके अनुयायियों द्वारा पौधरोपण किया जाता है। दिनांक 13 अगस्त 2015को अनन्त दास जी महाराज जी का धाम गमन हुआ था। उनकी 8वीं पुण्यतिथि पर मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से 1100 पौध रोपण करते हुए इन्हें संरक्षित करने का संकल्प लिया है।
नवाचारी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक राजकुमार मिश्र ने बताया कि वैसे तो पौधरोपण के नाम पर शासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं किन्तु धरातलीय स्थिति चिंताजनक है। यदि इसी तरह से पौधरोपण मात्र कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगा तो परिणाम भयावह होंगे।
कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित रहे जनसुनवाई फाउंडेशन के प्रदेश प्रभारी अधिवक्ता कमलेश प्रसाद मिश्र ने कहा कि महाराज जी की तपोस्थली में एकत्रित हो कर पर्यावरण संरक्षण पर परिचर्चा करते हुए पौधरोपण के प्रति ग्रामीणों की जागरूकता काबिल -ए तारीफ है। सही मायने में प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पित महाराज श्री अनंत दास जी के पुण्यतिथि पर 1100 पौधरोपण करने का लिया गया संकल्प सही मायने में सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम स्थल पर वन विभाग मेजा से बन दरोगा देवेन्द्र कुमार,भा.ज.पा.मण्डल अध्यक्ष गोविंद प्रसाद मिश्र, नन्दलाल, राजेश्वरी प्रसाद, दीपक कुमार, धर्मेंद्र कुमार, धीरज, विजय कुमार, अवधेश कुमार, अंकित,देवेश, राजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति रही।