प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को हलफनामा देकर यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि पुलिस कार्यालय की गोपनीय सूचनाएं देने के आरोपी पुलिसकर्मी के मददगार कौन हैं? न्यायमूर्ति अजीत कुमार की अदालत ने प्रयागराज में उर्दू अनुवादक के पद पर तैनात रहे मुनव्वर खान पर गंभीर आरोपों के बावजूद कड़ी कार्रवाई न होने पर हैरानी भी जताई। खान का तबादला माफिया अतीक अहमद से जुड़ाव के शक में हाथरस किया गया था।उर्दू अनुवादक मुनव्वर खान ने अपने तबादले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
कहा, प्रयागराज पुलिस कार्यालय में उर्दू अनुवादक के पद पर कार्यरत रहने के दौरान उसे कार्यालय की गोपनीयता भंग करने के कारण प्रशासनिक आधार पर हाथरस स्थानांतरित किया गया था। इस दौरान मिलने वाले भत्ते भी उसे नहीं दिए जा रहे हैं। सरकार के स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची का स्थानांतरण नहीं हुआ, बल्कि अस्थाई रूप से हाथरस संबद्ध किया गया है। उस पर कार्यालय की गोपनीय सूचनाएं माफिया को देने का आरोप था।
इस पर याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि खान का तबादला विभागीय नीति के विरुद्ध किया गया है। स्थानांतरण नीति में संबद्धीकरण है ही नहीं। याची का सेवाकाल भी सिर्फ 14 महीने बचा है। कोर्ट ने गोपनीयता भंग करने जैसे गंभीर आरोप के बावजूद संबद्धीकरण पर हैरानी जताई। कहा, प्रतीत हो रहा है कि पुलिस विभाग में याची की कोई रक्षा कर रहा है या फिर तबादला आदेश का बचाव करने के लिए कमजोर आधार पर आरोप लगाए गए हैं।
कोर्ट ने प्रयागराज पुलिस आयुक्त को 22 अगस्त तक जांच करके हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। कहा, पुलिस आयुक्त स्थिति को स्पष्ट करने में विफल रहे तो अदालत मामले में कड़ाई से पेश आएगी।
माफिया अतीक अहमद की मदद पर जिले से बाहर भेजे गए थे 25 पुलिसकर्मी
भाजपा नेता उमेश पाल की 24 फरवरी को दिनदहाड़े हत्या के महीनेभर बाद अतीक अहमद गैंग के मददगार 25 पुलिसकर्मियों को जिले से बाहर तैनाती दी गई थी। इनका तबादला प्रशासनिक आधार पर किया गया था। जिन पुलिसकर्मियों को हटाया गया था, उनमें दरोगा, हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल के साथ उर्दू अनुवादक मुनव्वर खान भी शामिल है। अधिकांश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूरदराज इलाकों में गैरवरीयता वाले पदों पर तैनाती दी गई थी। कुछ को पीटीसी मुरादाबाद भी भेजा गया था। इन सभी के तबादला आदेश में प्रशासनिक आधार पर कार्रवाई की बात कही गई थी, लेकिन सूत्रों का यही कहना था कि अतीक अहमद के मददगार होने की शासन तक शिकायत के बाद इन्हें हटाया गया था।