दर्शन करने आएं तो इन जगहों पर जरूर जाएं
विंध्याचल, मिर्जापुर (राजेश सिंह)। मां विंध्यवासिनी माता दरबार से करीब पांच किलोमीटर दूर अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित मां अष्टभुजा देवी भक्तों को दर्शन देती है। कंस ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए देवकी की सातवीं संतान को जमीन पर पटका था, जो योगमाया के रुप में आकर अष्टभुजा पहाड़ पर बस गईं।
मां विंध्यवासिनी दरबार से 10 किलोमीटर दूर अष्टभुजा पहाड़ी इलाके में स्थित मोतिया तालाब सरोवर है। भक्त मां के दर्शन पूजन करने के उपरांत तालाब सरोवर में स्नान कर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन पूजन करते हैं। मान्यता है कि जिसे भी कुत्ता काटता है तो इस तालाब में स्नान करने से रोग मुक्त हो जाता है।
मां विंध्यवासिनी मंदिर से करीब सात किलोमीटर दूर अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित सीता कुंड स्थल है। इस कुंड की महिमा है कि जल पीने से मात्र रोग मुक्त हो जाता है। इसका महत्व यह भी है कि मां सीता ने अपने पितरों का यहां पर तर्पण किया था। तब से लेकर आज तक मातृ नवमी तिथि पर इस स्थान पर महिलाएं अपने-अपने पितरों को जल से तर्पण करती है।
विंध्याचल मंदिर से करीब छह किलोमीटर दूर अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित भैरव कुंड स्थान है। जहां मां काली, बाबा भैरव का निवास स्थान भी है। इस स्थान पर भी कुंड से हमेशा जल निकलता है। इस जल को लेने दूूर-दूर से लोग आते है। जल कई बीमारियों में उपयोगी है। इस स्थान पर तंत्र-मंत्र यंत्र सिद्धि प्राप्त करने का उत्तम स्थान माना गया है।
विंध्याचल मंदिर से करीब दो किलोमीटर दूर शिवपुर गांव में स्थित रामेश्वरम भगवान का विशाल शिवलिंग है। इस मंदिर में 12 महीना दर्शन पूजन करने के लिए स्थानीय श्रद्धालु पहुंचते हैं। शिवरात्रि एवं पूसी तेरस पर्व पर मेला लगता है। यहां की मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने गंगा की आराधना कर शिवलिंग की स्थापना की थी।
मां तारा देवी का मंदिर
विंध्याचल मंदिर से करीब ढाई किलोमीटर दूर राम गया घाट पर स्थित मां तारा देवी का मंदिर है। जो तंत्र मंत्र यंत्र सिद्धि प्राप्त करने का उत्तम स्थल है। गुप्त नवरात्र एवं महानिशा रात बड़ी संख्या में साधक अपनी-अपनी साधना करने के लिए आते हैं।
अष्टभुजा और काली खोह दो स्थानों पर रोपवे है। रोपवे पहाड़ों के बीच अष्टभुजा से काली खोह पहाड़ी के बीच चलता है। एक व्यक्ति का किराया 50 रुपये है। रोपवे का आनंद लेने के लिए काफी संख्या में लोग आते है।
अमरावती चौराहे के पास भारत का मानक समय है। मान्यता है कि लंकाधिपति रावण भी अपनी ज्योतिष की गणना विंध्याचल से ही करता था। मानक समय केंद्र को इस समय सेल्फी प्वाइंट बना दिया गया है।
विंध्याचल से आठ किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में भागदेवर गांव में स्थित देवरहा हंस बाबा का आश्रम है। इस आश्रम में 5000 से अधिक गाय की सेवा की जाती है। आश्रम में नामचीन हस्तियों का आगमन हो चुका है।