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वी आर प्राउड टू बी आफ इंडियन ओरिजिन: डॉ रिसौल

SV News

डॉ सुशीला देवी रिसौल को श्रीराम मन्दिर अयोध्या का प्रतिरूप स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित

मेजा, प्रयागराज (श्रीकान्त यादव)। मॉरीशस से चलकर आई भारतीय मूल की डॉ हुसिला देवी रिसौल (अन्तर्राष्ट्रीय गायिका, लेखक, फिल्ममेकर, एकेडेमिशियन) अपने परम पूज्य गुरू श्री महन्त आचार्य भारत भूषण महाराज के साथ, सुप्रतिष्ठ लेखक-रमेश कुमार शर्मा, (जिलामंत्री, धर्मप्रसार विभाग, यमुनापार, विश्व हिन्दू परिषद) लाला लक्ष्मी नारायण डिग्री कालेज सिरसा-प्रयागराज के आवास पर लगभग 12 बजे दोपहर पहुॅचीं। पहुँचनें पर लेखक शर्मा ने दोनों अतिथियों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। स्वागत के क्रम में गुरु आचार्य भारत भूषण महाराज का पाँव पखारा तो वहीं डॉ रिसौल  को “श्रीराम मन्दिर अयोध्या का प्रतिरूप" स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। लगभग दो घंटे तक चली लम्बी वार्ता में मुख्य रूप मॉरीशस व भारतीय संस्कृति केन्द्र बिन्दू रही। डॉ रिसौल ने कहा कि मॉरीशस में आज भी हर पूर्णिमा के दिन खीर बनाने की सनातनी परम्परा चली आ रही है। और वहाँ की भोजपुरिया संस्कृति ने मॉरीशस में सनातन धर्म को बचा कर रखा है। हमें
भारतीय मूल का होने पर गर्व है । लेखक श्री शर्मा ने सम्पूर्ण विश्व मानवजाती में सामाजिक समरसता पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति दिलों को जोड़ने वाली, आपसी सौहार्द एक अद्भुत संस्कृति है। श्री आचार्य भारत भूषण महाराज जी ने संत रविदास जी के बताये मार्गो पर चलने एवं उनके उपदेशों को आत्मसात करने की बात की। डॉ रिसौल हमारी शिष्या हैं। इस बात का हमें गर्व है। लेखक श्री शर्मा जिस प्रकार विषम परिस्थिति में रहकर राष्ट्र को प्रगाढ़ता प्रदान कर रहे है। मेरा आर्शीवाद सदैव इनके साथ है। बताते चले कि डॉ रिसौल के दादा 1834 में, 18 वर्ष की उम्र में गाजीपुर से मॉरीशस चले गये थे। डॉ रिसौल में जी की पृष्ठभूमि चाचा मजदूर नेता एवं मंत्री के रूप में 20 वर्षों तक मॉरीशस की सेवा की। इतना ही नहीं मॉरीशस के वास्तविक प्रधानमंत्री आपके परिवार से हैं। श्री आचार्य भारत भूषण महाराज, संत रविदास के परिवार से 24वीं पीढ़ी के पीठाधीश्वर हैं। तो वहीं लेखक श्री शर्मा डिग्री कालेज में भूगोल प्रयोगशाला परिचर के पद पर रहते हुए अपने अद्भूत कृतियों के माध्यम से समाज व राष्ट्र में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। विदाई के क्रम में लेखक श्री शर्मा की धर्मपत्नी सुनीता शर्मा ने डॉ रिसौल जी को अक्षत व नारियल देकर अपनी भारतीय संस्कृति का बोध कराया तथा मोटे अनाज से निर्मित व्यंजनों को खिलाकर भारत की मिट्टी की ओर खीचनें का प्रयास किया। इस शुभ अवसर पर प्रमुख रूप से जीत नारायण सिंह, प्रिसिंपल (भारत के 22वें मुख्य न्यायाधीश जी के सगे छोटे भाई), ललन सिंह, पूर्व अध्यक्ष काशी प्रान्त सामाजिक समरसता अभियान विश्व हिन्दू परिषद, इंजीनियर सौरीश शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष- भारत मानवता संस्थान, राकेश कुमार यादव राष्ट्रीय महासचिव- भारत मानवता संस्थान,मोहन लाल शर्मा आध्यात्मिक कवि, राजनाथ शर्मा, विकास शर्मा, रीतू
शर्मा उपस्थित रहे।

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