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चकबंदी अधिकारी ने एक परिवार के नाम कर दी 239 बीघा जमीन

SV News

डीडीसी को सौंपी गई है जांच

प्रयागराज (राजेश सिंह)। अभिलेखों में हेराफेरी करके सरकारी जमीनों का बंदरबांट कैसे होता है? इसका एक मामला प्रकाश में आया है। सोरांव के तत्कालीन चकबंदी अधिकारी (सीओ) ने 27 वर्ष पहले करीब 239 बीघा जमीन एक परिवार के नाम कर दी थी, जिसकी वर्तमान कीमत करोड़ों में है। इसकी शिकायत हुई तो बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी (एसओसी) ने 2022 में उस आदेश को रद कर दिया, लेकिन कब्जा नहीं हटवाया। यह मामला अब प्रमुख सचिव चकबंदी तक पहुंचा तो उन्होंने फिर से जांच के आदेश दिए हैं।
यह मामला सोरांव तहसील के गांव उमरिया बादल उर्फ गेंदा गांव का है। गांव की 238 बीघा 19 बिस्वा दो धूर जमीन 1964 तक अभिलेखों में ऊसर में दर्ज थी। 1975 में ग्राम प्रधान के बयान के आधार पर उसको विक्रमाजीत के नाम दर्ज कर दिया गया था। उस दौरान आदेश के खिलाफ ग्रामीणों ने शिकायत की थी। इस जमीन का मामला चकबंदी अधिकारी की कोर्ट में कई वर्ष तक चला था।
1997 में तत्कालीन चकबंदी अधिकारी तरुण कुमार मिश्र ने इसको विक्रमाजीत के बेटे अमर सिंह और रघुवीर सिंह के नाम कर दिया। आदेश के बाद उन्होंने जमीन पर कब्जा कर लिया। वर्तमान में तरुण कुमार मिश्रा चकबंदी विभाग में अपर निदेशक हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तालाब, पोखर, ऊसर, आबादी, ग्रामसभा आदि जमीनों को किसी के नाम नहीं किया जा सकता है। सीओ के आदेश के खिलाफ 2018 में एसओसी से शिकायत की गई। चार वर्ष बाद 23 जुलाई 2022 को तत्कालीन एसओसी पुष्कर श्रीवास्तव ने 1997 के सीओ के आदेश को रद कर दिया। उस जमीन को फिर से ऊसर में दर्ज कर दिया, लेकिन वहां से कब्जा खाली नहीं करवाया गया। जमीन पर ग्रामीण काबिज हैं। पिछले दिनों इसकी शिकायत चकबंदी के प्रमुख सचिव पी गुरुप्रसाद से की गई है। उन्होंने जांच के लिए कमिश्नर प्रयागराज को पत्र भेजा। कमिश्नर ने 18 अप्रैल को उप संचालक चकबंदी (डीसीसी) को जांच के लिए निर्देशित किया है। 
सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जिला प्रशासन के पास जमीन नहीं है। शहर में कई प्रोजेक्ट के लिए जिला प्रशासन ने सेना से जमीन ली, लेकिन इसके बदले में देने के लिए जमीन नहीं है। वहीं,27 वर्ष पहले चकबंदी अधिकारी ने सरकारी जमीन को ग्रामीणों के नाम कर दी थी। उसे अब तक खाली नहीं कराया गया। ग्रामीणों को करोड़ों की जमीन देने वाले अफसर पर कार्रवाई भी नहीं की गई है।

उमरिया बादल उर्फ गेंदा गांव की 239 बीघा जमीन वर्षों से विवादित है। उस जमीन पर ग्रामीण काबिज हैं। पूर्व का आदेश 2022 में रद कर दिया गया था। उस मामले में अब फिर से जांच के आदेश दिए गए हैं। - आलोक श्रीवास्तव, एसओसी, प्रयागराज

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