लखनऊ (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं।सुर्खियों में रहने का कारण है धनंजय सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलना। लोकसभा चुनाव दौरान धनंजय सिंह की जमानत याचिका को मंजूर किए जाने पर विपक्षी पार्टी मुद्दा बना रही है।
बाहुबली धनंजय सिंह अब एक से दो दिन में जेल से बाहर होंगे। बरहाल धनंजय सिंह की सजा जारी रहेगी,जिसे वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धनंजय सिंह फौरी राहत दी है।इसी बीच समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह ने धनंजय सिंह को उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन बताया है।
अभय सिंह ने कहा है कि धनंजय सिंह आज की तारीख में उत्तर भारत का सबसे बड़ा डॉन है। राजस्थान, पंजाब, यूपी में उससे बड़ा डॉन कोई और नहीं है। उसे किसी से खतरा नहीं है बल्कि उससे सबको खतरा है।
जौनपुर से दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे बाहुबली धनंजय सिंह से जुड़ी एक ऐसी घटना बताने जा रहे हैं, जब धनंजय सिंह को सब लोगों ने मरा समझ लिया था। यहां तक कि पुलिस ने भी धनंजय सिंह को मृत घोषित कर दिया था। आइए जानें क्या है पूरा वाक्या।
1998 के भदोही फेक एनकाउंटर की घटना है।बीबीसी के मुताबिक 17 अक्टूबर 1998 का दिन था। पुलिस को अपने मुखबिरों से सूचना मिली कि 50 हजार का ईनामी धनंजय सिंह तीन अन्य लोगों के साथ भदोही मिर्जापुर रोड पर एक पेट्रोल पंप पर डकैती करने वाले हैं।पुलिस ने इस सूचना पर एक्शन लेते हुए दोपहर 11.30 बजे पेट्रोल पंप पर अचानक छापेमारी की। मुठभेड़ में उस समय चार लोगों के मारे जाने की सूचना दी गई।मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में एक को धनंजय सिंह बताकर मृत घोषित कर दिया गया था।इलाके में खबर आग की तरह फैली की धनंजय सिंह नहीं रहें,लेकिन सच्चाई यह थी कि धनंजय सिंह जिंदा और फरार थे। धनंजय सिंह कई महीनों तक अपने जिंदा होने की सच्चाई सबसे छिपाकर रखी और गुमनाम रहें।
धनंजय सिंह के जिंदा होने का सच फरवरी 1999 में उस समर सामने आया, जब धनंजय सिंह पुलिस के सामने पेश हुए। धनंजय सिंह के पुलिस के सामने आते ही भदोही फेक एनकाउंटर का भी राज खुल गया। धनंजय सिंह के जिंदा होने की बात जैसे ही सामने आई तो इस मामले में मानवाधिकार आयोग की जांच बैठाई गई। फेक एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किया गया था। इस केस की सुनवाई अभी भी भदोही की अदालत में अब भी जारी है।
2017 के चुनावी शपथपत्र में धनंजय ने जानकारी दी थी कि उनके खिलाफ 3 गंभीर केस दर्ज हैं, जिसमें हत्या, सबूत मिटाने और अपराध के लिए उकसाने का मुकदमा है,लेकिन साल 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस से पूछा था कि 24 से ज्यादा आपराधिक मामले वाले नेता को वाई सिक्योरिटी क्यों दी गई है।इस जनहित याचिका में जानकारी दी गई थी कि धनंजय सिंह पर 24 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं,जिसमें से 7 हत्या के केस हैं।