प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट रूम में वादकारी को पीटने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ सख्ती बरतते हुए उनके यूपी की किसी भी अदालत में वकालत पर रोक लगा दी है। वह प्रदेश की किसी भी जिला अदालत में मुकदमों की पैरवी और बहस नहीं कर सकेंगे। जनपद न्यायालय स्थित सिविल न्यायालय में सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान वादकारी दंपती को मारने पीटने और अदालत के कामकाज में बाधा पहुंचाने के मामले का हाईकोर्ट में संज्ञान लेते हुए आरोपी अधिवक्ताओं की किसी भी अदालत में प्रैक्टिस और कोर्ट परिसर में घुसने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने जिला जज इलाहाबाद से सीसीटीवी के साथ विस्तृत रिपोर्ट अदालत तलब करते हुए आरोपी वकीलों के अलावा घटना में शामिल लोगों की पहचान कर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया। सिविल जज की शिकायत पर जिला जज की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह सख्ती बरती है। उधर, जिला अधिवक्ता संघ की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से आरोपी अधिवक्ता रणविजय सिंह, मो. आसिफ, मो. महताब और आफताब की बार संघ से सदस्यता समाप्त कर दी है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरोपी अधिवक्ता रणविजय और मो. आसिफ के खिलाफ अपराधिक अवमानना का नोटिस भी जारी किया है। साथ ही जिला जज से घटना सीसीटीवी फुटेज की जांच करने और आरोपियों के अलावा घटना में शामिल वकीलों और अन्य लोगों की पहचान कर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
जिला कचहरी में हुई मारपीट की पूरी कहानी सिविल जज सीनियर डिविजन चेतना सिंह ने अपने आदेश में बयां की है। लिखा है कि सोमवार को उनकी अदालत में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल के सिविल वाद की सुनवाई चल रही थी। तभी वकीलों का एक गुट कोर्ट में घुस आया और रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद के मुकदमे की सुनवाई के लिए दबाव बनाने लगा। इसमें वादकारी स्वयं अधिवक्ता है। अधिवक्ता रणविजय सिंह और उनके साथ आए अन्य वकीलों ने सुनवाई का दबाव बनाते हुए वादकारियों को पीटना शुरू कर दिया।
पीठासीन अधिकारी से भी दुर्व्यवहार किया गया।सिविल जज ने लिखा है कि जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने स्तर से इस मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद अध्यक्ष खुद को बचाने के लिए कोर्ट से बाहर चले गए। इधर, रणविजय सिंह के साथ आए वकीलों की भीड़ कोर्ट में डायस तक चली आई और परवेज अंसारी और उनकी पत्नी पर हमला कर दिया। जब दोनों बचने के लिए जज के चेंबर में घुस गए तो वकीलों ने वहां भी घुसकर उनकी पिटाई की।
पीठासीन अधिकारी को भागकर बचानी पड़ी जान
पीठासीन अधिकारी को खुद को बचाने के लिए सीजेएम के चेंबर में भागना पड़ा। संबंधित पुलिस अधिकारियों को इस घटना की तत्काल सूचना दी गई। पीठासीन अधिकारी ने खुद की सुरक्षा को भी खतरा जताया है, क्योंकि घटना उनके चैंबर व कोर्ट में हुई है। अधिकारी ने जिस क्रम में पूरी घटना घटित हुई उसी क्रम में अपने आदेश में उसको रिकॉर्ड किया है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को निर्देश दिया है कि जिला जज की मांग पर पर्याप्त पुलिस बल जिला न्यायालय परिसर में तैनात किया जाए ताकि इस प्रकार की घटना दोबारा ना हो सके।
अदालत की सुरक्षा इंतजाम की जानकारी तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की सुरक्षा बंदोबस्त में हीलाहवाली पर भी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त प्रयागराज से अदालतों के सुरक्षा इंतजाम की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से जिला जज के निर्देशानुसार सुरक्षा प्रबंध करने का निर्देश दिया है।
चिंतित कोर्ट ने कहा....कैसे चलेंगी अदालतें
सोमवार को भरी अदालत में वादकारियों के साथ हुई मारपीट की घटना का संज्ञान पीठासीन अधिकारी की ओर से भेजी गई शिकायत पर लिया है। पत्र का हवाला देते हुए कोर्ट ने हैरानी जताई कि जिस तरह घटना हुई, अदालती कामकाज बाधित हुआ, वह बेहद गंभीर मामला है। ऐसी दशा में अदालती कामकाज करना चुनौतीपूर्ण है।
गौतलब है कि सोमवार को जिला न्यायालय इलाहाबाद में सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी की अदालत में त्वरित सुनवाई को लेकर कुछ वकीलों के साथ आरोपी अधिवक्ता रणविजय सिंह, मो. आसिफ, मो. महताब और आफताब ने कोर्ट में घुस कर वादकारी दंपत्ति के साथ मारपीट शुरू कर दी थी। यह देख पीठासीन अधिकारी को कोर्ट से काम छोड़ कर उठना पड़ा। वादकारियों पर हमलावर वकील फिर भी नहीं माने तो दंपती जज के चैंबर की ओर भागे तो वहां से भी हमलावरों ने उन्हें खींच लिया और पीटने लगे। इस मामले में पीड़ित दंपती ने कर्नलगंज थाने में अधिवक्ता रणविजय सिंह, मो. आसिफ, मो. महताब और आफताब के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।
उधर, अधिवक्ताओं के आचरण से नाराज सिविल जज ने मामले की जानकारी जिला जज को दी। जिला जज की ओर से उच्च न्यायालय के महानिबंधक, जिला बार एसोसिएशन और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को दी गई है। सिविल जज ने संबंधित मामले की पत्रावली में भी मामले को दर्ज किया है। जिला जज की ओर से भेजी गई शिकायत पर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया तो जिला अधिवक्ता संघ ने चारों आरोपी अधिवक्ताओं की बार से सदयता समाप्त कर दी है।