प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ में गंगा पर बनने वाले पांटून पुलों के निर्माण के लिए रायपुर से साल स्लीपर और साल एजिंग की आपूर्ति शुरू हो गई है। परीक्षण के लिए गई टीमों ने अब तक दो चरण में परीक्षण किया है। पहले चरण में जहां 1410 साल स्लीपर और एजिंग पास किए गए थे, वहीं दूसरे चरण का परीक्षण अभी चल रहा है।
गंगा पर पांटून पुलों के निर्माण के लिए मंगाई गई पहली खेप में कई साल स्लीपर अंडरसाइज होने के कारण रिजेक्ट कर दिए गए। रायपुर में हुई साल स्लीपर और साल एजिंग की पासिंग की थर्ड पार्टी एजेंसी के आगे पोल खुल गई। पीडब्ल्यूडी के एसई देवेंद्र कुमार और एक्सईएन सुरेंद्र सिंह की मौजूदगी में मेला स्टोर में साल स्लीपर और साल एजिंग की अनलोडिंग शुरू हो गई है।
महाकुंभ में गंगा पर बनने वाले पांटून पुलों के निर्माण के लिए रायपुर से साल स्लीपर और साल एजिंग की आपूर्ति शुरू हो गई है। परीक्षण के लिए गई टीमों ने अब तक दो चरण में परीक्षण किया है। पहले चरण में जहां 1410 साल स्लीपर और एजिंग पास किए गए थे, वहीं दूसरे चरण का परीक्षण अभी चल रहा है। पता चला है टीम में शामिल अभियंताओं ने अफसरों को रिपोर्ट दी है कि वर्क आर्डर लेने वाली कंपनी के भंडारण में ज्यादातर साल स्लीपर खराब और मानक के अनुरूप नहीं होने से छंट जा रहे हैं।
इस बीच पहले चरण की आपूर्ति शुरू हो गई है। यहां पहुंचे चार ट्रकों की अनलोडिंग शुरू हो गई। इसमें थर्ड पार्टी एजेंसी ने एक ट्रक से उतारे गए स्लीपरों में से नौ स्लीपर रिजेक्ट कर दिए गए। इन स्लीपरों को पांटून पुल के निर्माण के योग्य नहीं पाया गया। शर्तों के मुताबिक टेढ़े, क्रेक और अंडर साइज स्लीपर नहीं लिए जा सकते।
महाकुंभ के लिए साल स्लीपर का वर्क आर्डर रायपुर की पांच फर्मों को दिया गया है। दरों को लेकर शुरू हुए विवाद और प्रतिस्पर्धी फर्मों की खींचतान की वजह से इस बार साल स्लीपर की आपूर्ति में देरी हुई है। पीडब्ल्यूडी ने न्यूनतम 1.58 लाख रुपये प्रति घनमीटर की दर पर टेंडर दिया है। जबकि, बन निगम की दर 2.27 लाख 875 रुपये प्रति घन मीटर तय की गई है।
मुख्य अभियंता एके द्विवेदी का कहना है कि टेंडर कमेटी के किफायती दर पर साल स्लीपर और साल एजिंग की खरीद के इस निर्णय से 45 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। लेकिन, जिस तरह की लकड़ी क आपूर्ति शुरू हुई है, उसे लेकर पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं और पासिंग कमेटी के सदस्यों बीच तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। महाकुंभ में 30 पांटून पुलों के निर्माण के लिए कुल 80 हजार साल स्लीपर और आठ हजार साल एजिंग की आपूर्ति की जानी है। टेंडर बांड के अनुसार छह नवंबर तक आपूर्ति पूरी कर देनी है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रतिदिन अगर एक हजार साल स्लीपर की आपूर्ति होगी तब यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
महाकुंभ में गंगा पर बनने वाले पांटून पुलों के लिए शनिवार को कराए गए टेंडर में भी फर्मों ने निविदा डालने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। सिर्फ पुल नंबर तीन, नाग वासुकि और मोरी पांटून पुलों के लिए ही एकल फर्मों ने निविदा डाली। शेष मेन पांटून पुलों के लिए एक भी निविदा नहीं डाली जा सकी। जिन तीन पुलों के लिए टेंडर डाले गए हैं, वह नई फर्में हैं। निविदा की शर्तों के मुताबिक एकल अथवा निविदा प्राप्त न होने की दशा में नए सिर से टेंडर कराए जाएंगे।