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मानव का परमात्मा के साथ मिलन ही महारासः देव कृष्ण शास्त्री

 

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मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। उरुवा विकास खंड अंतर्गत सोरांव गांव में श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह के पंचम दिवस अयोध्या धाम से पधारे अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक बालशुक पंडित देव कृष्ण शास्त्री जी महाराज का मुख्य यजमान श्रीमती निर्मला देवी शुक्ला पत्नी गोलोकवासी पंडित त्रिवेणी प्रसाद शुक्ल व सुपुत्र भूपेन्द्र उर्फ पिंकू शुक्ल ने भागवत भगवान, व्यासपीठ और पुरोहित बबुन्ने ओझा का तिलक व माल्यार्पण कर आरती उतारी।  श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए पूतना राक्षसी के उद्धार की कथा का रसपान कराते हुए बताया कि जब पूतना जब कृष्ण को मारने आई तो वह मौसी बनकर कृष्ण को गोदी में ले लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण  स्तनपान करते हुए प्राणपान करने लगे। पूतना की मौत हो जाती है। पूतना का विशालकाय शरीर 18 किमी तक में फ़ैल गई। 100 चिता बनाकर शव जलाई गई। पूतना के शरीर से चंदन जैसी सुगंध फैल गई। इसके पश्चात आकासुर, बकासुर, कालिया नाग का भगवान ने उद्धार किया।

कन्हैया झूले पलना, मेरे लाला झूले पालना...। तृणावर्त, दामोदर उद्धार की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण दो वर्ष के हो गए हैं, अब वे ठुमक-ठुमक चलने लगे हैं। भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान माता यशोदा के वात्सल्य प्रेम से रस्सी में बंध गए।

श्रीकृष्ण के माखन चोरी की लोमहर्षक कथा का संगीतमयी कथा-तेरो लाल यशोदा छल गये रे मेरो माखन चुराकर.. का रसपान कराया। ग्यारह वर्ष की अवस्था में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में रास रचाई। कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गिरिराज भगवान की पूजा से हमें ज्ञान होता है कि कर्म ही हमरा गुरू, कर्म ही हमारी पूजा है। अपने मन को शुद्ध कर अपने कर्म को करों, फल अवश्य मिलेगा। भागवत में महारास प्रसंग का वर्णन करते हुए कथावाचक कहते हैं, महारासलीला भागवत के सभी अध्यायों में सबसे महत्वपूर्ण हैं। गोकुल की गोपियों का जीवन दिव्य, पावन, पवित्र है। गोपियों का जीवन चरित्र हमें सिखाता है कि भगवान से निस्वार्थ प्रेम आखिर क्या होता है। मानव का परमात्मा के साथ मिलन ही महारास है। भगवान कृष्ण मुरली बजाकर महारास का आह्वान करते हैं। जमुना के तीरे आकाश से पुष्प वर्षा हो रही है, देवतागण स्वयं संगीत बजा रहे हैं। भगवान शिव भी भेष बदलकर महारास में पहुंचते हैं।

गोपी गीत का महत्व बताते हुए महाराज कहते हैं गोपी गीत कृष्ण भक्ति का सर्वाेत्तम गीत है। अपने अराध्य प्रभु श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हुए गोपियां कहती हैं हे यदुवंश शिरोमणि ! तुम अपने प्रेमियों की अभिलाषा पूर्ण करने वालों में सबसे आगे हो। जो लोग जन्म-मृत्यु रूप संसार के चक्कर से डरकर तुम्हारे चरणों की शरण ग्रहण करते हैं, उन्हें तुम्हारे कर कमल अपनी छत्र छाया में लेकर अभय कर देते हैं। महारास की भव्य झांकी निकाली गई। भागवत भगवान की आरती और छप्पन भोग प्रसाद वितरण के पश्चात कथा को विराम दिया जाता है। कथा श्रवण के दौरान पूर्व जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी शंकर उर्फ लल्लन शुक्ल, पूर्व प्रधान केशव प्रसाद शुक्ल, पूर्व प्रधान नागेश्वर प्रसाद शुक्ल, पूर्व उपप्रधान नागेश्वर प्रसाद उर्फ कलट्टर शुक्ल, श्याम नारायण उर्फ लोलारक शुक्ल, बालकृष्ण शुक्ल, शिक्षक संघ अध्यक्ष मनीष तिवारी, कलयुग तिवारी, ग्राम प्रधान राजेश द्विवेदी, प्रभाशंकर उर्फ रिंकू ओझा, आशीष शुक्ल, प्रभाष मिश्र, अवधेश शुक्ल, हरिकिशन विश्वकर्मा, श्रीराम शुक्ल, बच्चन पाण्डेय, रामआसरे द्विवेदी, रामभवन द्विवेदी, उमाशंकर उर्फ चिरकुट द्विवेदी, उमा पाण्डेय, गिरीश शुक्ल, विनोद शुक्ल, सुनील शुक्ल, घनश्याम शुक्ल, अमरनाथ पाण्डेय, श्रीकांत द्विवेदी उर्फ लल्लन, लालजी द्विवेदी, संतोष शुक्ल, कृष्णा कांत शुक्ल, रामेश्वर प्रसाद शुक्ल, नरेंद्र कुमार शुक्ल. विनय शुक्ल, अवधेश शुक्ल, मुन्ना पाण्डेय, दयाशंकर मिश्र, मोहन बाबू शुक्ल, लालबहादुर कुशवाहा, विजय शंकर दुबे, कृष्ण कुमार उर्फ नंघेसर शुक्ल, द्वारिका प्रसाद शुक्ल, विंध्यवासिनी शुक्ल, राकेश शुक्ल उर्फ दादा, पप्पू शुक्ल, रविशंकर शुक्ल, योगेश द्विवेदी, अवधेश शुक्ल, शंभू प्रजापति, झल्लू राम प्रजापति, नायब तहसीलदार मेजा सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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