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महाकुंभ में सारे स्नान शाही नहीं; कब सामान्य, कब शाही स्नान? सही तिथियां जानें

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। जब भी महाकुंभ की बात होती है तो सबसे पहले श्रद्धालुओं के मन में उन महत्वपूर्ण तिथियों को जानने की जिज्ञासा होती है, जिनमें शाही स्नान किया जा सकता है। इंटरनेट पर सर्च करने पर तिथियों के मामले में कई भ्रांतियां फैली हुई हैं, कोई पांच शाही स्नान बता रहा तो कोई छह शाही स्नान। आपके इसी असमंजस को दूर करने के लिए अमर उजाला ने तिथियों की तथ्यपरक जानकारी अपने पाठकों को तक पहुंचाना अपनी जिम्मेदारी समझा है। इस साल 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ की शुरुआत होगी, जिसका समापन 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि को होगा। महाकुंभ 45 दिन तक चलता है। हम आपको बता दें कि प्रयागराज में आयोजित इस बार के कुंभ में तीन शाही स्नान होंगे और इसके अतिरिक्त तीन ऐसी तिथियां होंगी जिन पर स्नान करना भी काफी शुभ माना जाएगा।

13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा
14 जनवरी (मंगलवार)- शाही स्नान, मकर सक्रांति
29 जनवरी (बुधवार)- शाही स्नान, मौनी अमावस्या
3 फरवरी (सोमवार)- शाही स्नान, बसंत पंचमी
12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
26 फरवरी (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि

महाकुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। इसे कुंभ मेला भी कहा जाता है, महाकुंभ का आयोजन 12 वर्षों में किया जाता है। जहां पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। यह उत्सव भारत की चार पवित्र नदियों और चार तीर्थ स्थानों पर ही आयोजित होता है। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के संगम , हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, और नासिक में गोदावरी नदी पर किया जाता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। 
 महाकुंभ में पूरे देश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां तक कि विदेशों में रहने वाले हिंदू धर्म के लोग भी महाकुंभ में शामिल होने के लिए भारत आते हैं। ऐसे में कुंभ मेले में काफी भीड़ होती है और होटल, धर्मशाला और टेंट सुविधा की बुकिंग पहले से हो जाती है। इसलिए अगर आप महाकुंभ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो पहले से ही होटल में बुकिंग करा लें। ट्रेन या फ्लाइट का टिकट भी पहले से ही बुक करा लें ताकि रिजर्वेशन कन्फर्म रहे। 
महाकुंभ के दौरान मुख्य स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं को चार स्थानों से मेला क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा। वह काली सड़क होकर संगम जा सकेंगे, जबकि वापसी त्रिवेणी मार्ग से कर सकेंगे। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा व 14 को मकर संक्रांति पर यही व्यवस्था लागू होगी। एसएसपी कुंभ राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर भीड़ अधिक होगी। इसी को देखते हुए मुख्य स्नान पर्व व सामान्य दिनों में मेला क्षेत्र के भीतर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाए रखने के लिए अलग-अलग प्लान बनाए गए हैं। 
मुख्य स्नान पर्व पर मेला क्षेत्र में चार प्वाइंटों से एंट्री की जा सकेगी। इनमें जीटी जवाहर, हर्षवर्धन तिराहा, बांगड़ चौराहा व काली मार्ग-दो शामिल हैं। मेले के अंदर आने के बाद श्रद्धालु काली सड़क होकर काली रैंप से अपर संगम मार्ग होकर संगम जा सकेंगे। वापसी त्रिवेणी मार्ग से होगी। श्रद्धालुओं को वापसी के दौरान भी किसी तरह की समस्या न हो और वह अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच जाएं, यातायात योजना तैयार करते वक्त इसका भी पूरा ख्याल रखा गया है। यही वजह है कि अलग-अलग दिशाओं से होकर जाने के लिए अलग-अलग योजना बनाई गई हैं।
प्रयागराज जंक्शन या चौक की ओर जाने वाले त्रिवेणी मार्ग से फोर्ट रोड तिराहा, नए यमुना ब्रिज के नीचे से एडीसी तिराहा होकर गंतव्य की ओर जाएंगे। इसी तरह सिविल लाइंस की ओर जाने वाले फोर्ट रोड तिराहे से फोर्ट रोड होते हुए हर्षवर्धन तिराहे से होकर एमजी मार्ग होते हुए जाएंगे। अल्लापुर, दारागंज की ओर जाने वाले पाइप ब्रिज से होकर भेेजे जाएंगे।
उधर, प्रयागराज मेले के दौरान ट्रैक की निगरानी के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के 500 जवानों को लगाया गया है। इतना ही नहीं, बल को आधुनिक उपकरणों से भी लैस किया गया है। उत्तर मध्य रेलवे के आईजी आरपीएफ अमिय नंदन सिन्हा का कहना है कि आरपीएफ हर मोर्चे को संभालने के लिए तैयार है। अलग-अलग शिफ्ट में जवान 24 घंटे विभिन्न स्थानों पर ट्रैक की निगरानी करेंगे। इसके अलावा आरपीएफ की विशेष कोरस कंमाडो ड्रोन कैमरों और एक हजार सीसीटीवी से निगरानी करेंगे। आईजी आरपीएफ के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस कैमरों में अपराधियों व संदिग्ध आंतकियों को ट्रेस करने की क्षमता है। उन्होंने बताया कि स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण एवं भगदड़ के लिए रेलवे ने दो प्लान तैयार किए हैं। एक आंतरिक और दूसरा बाहरी। स्टेशनों पर आगजनी, बमबाजी या विस्फोट जैसी घटनाओं को रोकने लिए पहले से तैयारी चल रही है। 
महाकुंभ में आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए पांच राज्यों से स्पॉटर्स बुलाए गए हैं। यह पलक झपकते ही आतंकियों, कुख्यात अपराधियों के साथ ही संदिग्ध गतिविधियां करने वालों की पहचान कर सकेंगे। मेले में कुल 30 स्पॉटर्स की तैनाती होनी है, जिनमें से 18 ने पहुंचकर सुरागरशी भी शुरू कर दी है। मेले को लेकर मिली धमकियों के मद्देनजर प्रदेश सरकार सुरक्षा को लेकर हरसंभव उपाय करने में जुटी है। 
महाकुंभ मेले में आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड(एनएसजी) ने मोर्चा संभाल लिया है। देश की सर्वोच्च काउंटर टेररिज्म एजेंसी के 200 ब्लैककैट कमांडो मेले में तैनात होंगे। इनमें से 50-50 सदस्यीय दो टीमों ने मेले में पहुंचकर मोर्चा संभाल भी लिया है। यह टीमें दो हेलीकॉप्टरों से पहुंची हैं जिन्होंने मेले में निगहबानी भी शुरू कर दी है। महाकुंभ को लेकर मिली आतंकी धमकी को देखते हुए सुरक्षा संबंधी अन्य इंतजामों के साथ-साथ इस बार आतंकी गतिविधियों को नाकाम करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। 
इसी के तहत इस बार मेले में विशेष रूप से एनएसजी की भी चार टीमें तैनात किए जाने का निर्णय लिया गया है। इन चार टीमों में से प्रत्येक में 50-50 ब्लैककैट कमांडो शामिल होंगे। यह कमांडो आतंकी वारदातों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं। इनमें से दो टीमों ने मेले में पहुंचकर मोर्चा भी संभाल लिया है। यह दो टीमें हेलीकॉप्टर से पहुंची हैं। अफसरों ने बताया कि एनएसजी की टीमें अपना चॉपर साथ लेकर चलती हैं। एनएसजी कमांडो की एक विशेषता यह भी है कि वह बिना हथियार के भी दुश्मन को मार गिराने में सक्षम होते हैं। मेले में तैनात होने वाले एनएसजी कमांडो एंटी ड्रोन अभियान के साथ-साथ रात में चलने वाले काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन को भी आसानी से अंजाम दे सकते हैं।

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