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विद्या भारती की वेबसाइट का राज्यपाल ने किया लोकार्पण, शिक्षा और संस्कारों पर दिया जोर

SV News

महाकुंभ नगर, 20 जनवरी 2025 (राजेश सिंह)। महाकुंभ नगर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की वेबसाइट www.vbpurviup.org का लोकार्पण किया। यह वेबसाइट विद्या भारती के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के शैक्षणिक और सांस्कृतिक प्रयासों को डिजिटल माध्यम से प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा, संस्कृति, और महाकुंभ की आध्यात्मिक महिमा को रेखांकित किया गया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इसे भारतीय परंपराओं और आध्यात्मिकता का जीवंत संगम बताते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति का प्रतिबिंब है। इसके साथ ही उन्होंने प्रसिद्ध शासिका अहिल्याबाई होलकर की न्यायप्रियता और कुशल शासन के प्रेरणादायक उदाहरणों को साझा किया।
उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने न केवल अपने राज्य का विकास किया बल्कि न्यायप्रियता और नैतिकता के उदाहरण प्रस्तुत किए। एक घटना का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अहिल्याबाई ने अपने पुत्र को उसी तरह दंडित करने का आदेश दिया, जैसे एक बछड़े की हत्या के लिए सामान्य नागरिक को दंड दिया जाता। यह उनकी न्यायप्रियता का अनूठा उदाहरण है।
राज्यपाल ने माता-पिता की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों में अच्छे संस्कार देने चाहिए ताकि उन्हें भविष्य में वृद्धाश्रम की जरूरत न पड़े। 8 साल की उम्र में जो बच्चे सही और गलत का भेद सीखते हैं, वही उनके जीवन का आधार बनता है। महिला ही बच्चों की पहली और सबसे महत्वपूर्ण शिक्षिका होती है, इसलिए उनके संस्कारों में विशेष ध्यान देना चाहिए।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, जो कार्यक्रम के अध्यक्ष थे, ने अपने वक्तव्य में कहा कि महाकुंभ के आयोजन का उद्देश्य समाज में एकता और समरसता का संदेश देना है। अहिल्याबाई होलकर ने अपने जीवन में यह सिद्ध किया कि महिलाओं का सशक्तिकरण और शिक्षा किसी भी समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। उन्होंने महाकुंभ को भारतीय संस्कृति का महानतम संगम बताया और कहा कि विद्या भारती की नई वेबसाइट इस दिशा में शिक्षा और भारतीय परंपराओं को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

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