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महाकुंभ से विदा हुए 10 लाख कल्पवासी

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स्नान, दान और गंगा मैया का आशीर्वाद लेकर रवाना हुए

कुम्भनगर (राजेश सिंह)। प्रयागराज के संगम तट में लगे आस्था के सबसे बड़े समागम में एक महीने से प्रवाहित हो रही जप, तप और साधना की धारा के साक्षी कल्पवासियों की माघ पूर्णिमा स्नान के साथशुक्रवार को सुबह विदाई हो गई। स्नान, दान और गंगा मैया का आशीर्वाद लेकर कल्पवासी रवाना हुए। भावुक होकर बोले-जीवन धन्य हो गया।

पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ त्रिवेणी की रेत पर शुरू हुआ कल्पवास का माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ समापन हो गया। सभी कल्पवासी स्नान, दान और मां गंगा का आशीष लेकर महाकुंभ की आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ अपने-अपने गंतव्य की तरफ प्रस्थान कर गए।

महाकुंभ अध्यात्म और संस्कृति का दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है। महाकुंभ का हर सेक्टर, हर स्थान ज्ञान, भक्ति और साधना के विविध रंगों से गुलजार है। महाकुंभ में अखाड़ों के वैभव के अलावा जप, तप और साधना की त्रिवेणी के प्रवाह के साक्षी रहे कल्पवासियों की माघ पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ विदाई हो गई।

ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी में माघ पूर्णिमा की डुबकी लगाकर कल्पवासी अपने शिविर पहुंचे। कल्पवासियों ने तीर्थ पुरोहितों के सानिध्य में विधि विधान से दान और हवन का अनुष्ठान पूरा किया। तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल बताते हैं कि वैसे तो शास्त्र में 84 तरह के दान का उल्लेख है, लेकिन जिसकी जो श्रद्धा होती है उसका दान तीर्थ पुरोहित स्वीकार कर लेते हैं। शैय्या दान, अन्न दान, वस्त्र दान और धन दान आदि का अनुष्ठान माघ पूर्णिमा को किया जाता है।

किसी कारण वश अगर कोई कल्पवासी माघ पूर्णिमा को यह अनुष्ठान पूरा नहीं कर पाता तो वह अगले दिन त्रिजटा का स्नान कर यहां से विदा हो जाता है। माघ पूर्णिमा में दस लाख से अधिक कल्पवासी महा कुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर यहां से प्रस्थान कर गए।

मेला क्षेत्र से कल्पवासियों की सकुशल घर वापसी के लिए महाकुंभ प्रशासन ने अलग योजना बनाई है। डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण माघ पूर्णिमा के पहले कल्पवासियों से इसे लेकर अपील कर चुके थे जिसके अनुसार ही महाकुंभ से कल्पवासियों की रवानगी की योजना पर अमल किया गया।

मेला क्षेत्र में पहले से ही आ चुकी भारी भीड़ को देखते हुए कल्पवासियों के वाहनों की मेला क्षेत्र से निकासी मेला में भीड़ छंटने के बाद सुनिश्चित की गई। कल्पवासियों को घर वापस ले जाने वाले ट्रैक्टर व अन्य छोटे वाहनों को मेला क्षेत्र के बाहर बनाई गई पार्किंग में खड़ा करने के लिए कहा गया। श्रद्धालुओं के स्नान के सकुशल सम्पन्न होने के बाद कल्पवासी अपने वाहनों से अपना सामान लेकर विदा हो गए।

महाकुंभ का आयोजन देश के चार स्थानों प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में होता है, लेकिन कल्पवास की परम्परा केवल प्रयागराज में है। इस वर्ष महा कुम्भ के आयोजन ने भी कल्पवास को विशिष्ट बना दिया। योगी सरकार की तरफ प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य, भव्य और स्वच्छ महाकुंभ स्वरूप दिए जाने पर मेला क्षेत्र के विभिन्न सेक्टर में प्रवास कर रहे इन कल्पवासियों का अनुभव भी अलग रहा।


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