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भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत: ट्रंप का एलान- भारत जाएगा तहव्वुर राणा

 

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वाशिंगटन। दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है। 26/11 मुंबई हमले में शामिल तहव्वुर राणा भारत आएगा। उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही खुद उसके प्रत्यर्पण की घोषणा की।

ट्रंप ने कहा कि हमारे प्रशासन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल बेहद दुष्ट तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। राणा भारत में न्याय का सामना करना। बता दें कि पिछले 16 साल से भारतीय जांच एजेंसियों को तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का इंतजार था।

हेडली से जुड़े तहव्वुर राणा के तार

तहव्वुर राणा मूलरूप से पाकिस्तानी है। मगर बाद में उसने कनाडा की नागरिकता ले ली। मौजूदा समय में वह लॉस एंजिल्स के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। तहव्वुर राणा के संबंध पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से भी हैं। हेडली ही 26/11 मुंबई अटैक का मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ही ट्रंप ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का एलान किया है। ट्रंप ने कहा कि आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक और मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है। वह न्याय का सामना करने के लिए भारत वापस जा रहा है।

जनवरी में राणा ने अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। हालांकि कोर्ट ने उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।

26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इसे अंजाम 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने दिया था। सभी आतंकी अरब सागर के रास्ते मुबंई में दाखिल हुए थे। मुंबई में घुसने के बाद इन्होंने एक रेलवे स्टेशन, एक यहूदी केंद्र और दो होटलों को निशाना बनाया। लगभग 60 घंटों तक मुंबई आतंक के साये में रही। इन हमलों में 166 लोगों की जान गई थी।

मुंबई हमलों से पूरी दुनिया दहल गई थी। यहां तक कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की नौबत भी आ गई थी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सिर्फ आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा था। 2012 में उसे पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई।

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