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आनंद गिरि मायालु को मिला इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

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नई दिल्ली (राजेश शुक्ला)। नेपाल के प्रसिद्ध कवि, लेखक, साहित्यकार, अवधी भाषा विज्ञ आनन्द गिरि मायालु को भारत के मथुरा की दो संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप में सम्मानित किया गया है।

जिले की प्रसिद्ध संस्था पंडित नथाराम गौड़ लोकसाहित्य शोध संस्थान हाथरस तथा अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति केंद्र मथुरा द्वारा संयुक्त रूप में भाषा अभियंता आनन्द गिरि मायालु को सम्मानित किया गया है।

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पंडित नथाराम गौड़ की 151 वीं जन्म जयंती के अवसर पर नेपाल के जानकी गांव पालिका बांके निवासी युवा साहित्यकार तथा अवधी भाषा विज्ञ आनन्द गिरि मायालु को अवधी भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति के विकास तथा अवधी मूर्त अमूर्त सम्पदा के संरक्षण संवर्द्धन में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2025 का अवधी फोल्क तथा लिटरेचर विधा में " इंटरनेशनल लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड " से सम्मानित किया गया है। संस्था अध्यक्ष शशि बाला गौड़ तथा महासचिव आचार्य डॉ खेमचंद यदुवंशी शास्त्री ने मायालु को सम्मानित कर बधाईयां दी हैं। ज्ञात हो कि आनन्द गिरि मायालु नेपाल में कई वर्षों से अवधी तथा हिंदी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति के विकास के लिए कार्य करते आए हैं इनकी सैकड़ों रचनाएं देश विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ ही इन्हें देश विदेश से दर्जनों प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। यह सम्मान अवधी भाषा अभियंता मायालु को नेपालगंज में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम के अवसर पर नेपाल के मंत्री, सांसद आदि गणमान्यों की उपस्थिति में हस्तांतरण किया गया है।

सम्मान के बाद संस्था को धन्यवाद देते हुए कवि आनन्द गिरि मायालु ने कहा - " मुझे आज प्रसन्नता हो रही है कुछ समय पहले मुझे नेपाल में प्रतिष्ठा सम्मान मिल रहा था आज मेरे कार्यों के वजह से देश से विदेश तक मुझे सम्मान मिल रहा है। इस सम्मान ने मुझे और भी जिम्मेवार बनाया है। विशेष कर मैं अपनी मातृभाषा अवधी तथा मैत्री भाषा हिंदी और नेपाली के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहा हुं। "

नेपाल में अवधी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा मिल चुका है साथ ही अवधी भाषा में नेपाल का संविधान भी प्रकाशित है। आचार्य शास्त्री कहते हैं - " कवि मायालु एक सूर्य हैं जो अपने देश नेपाल ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाने जाते हैं उनकी पहचान उनका कार्य है। इन्होंने सबसे कम उम्र में बड़े बड़े कार्य किए हैं आज समाज को इनसे सीखने की जरूरत है । "

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