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महाकुंभ समापन के बाद अधिकतर घाटों पर पसरा सन्नाटा

SV News

अफसर तक करते थे इंतजार, अब श्रद्धालुओं की ताक रहे राह

प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ मेले के दौरान जहां नावों के लिए मारामारी मची थी। नाविकों की ओर से निर्धारित दरों से 10 गुना अधिक कीमत वसूली जा रही थी। इसके बावजूद आमजन से लेकर अफसर तक कतार में लगे थे, लेकिन महाकुंभ संपन्न होने के बाद अब स्थिति उलट है। 
शुक्रवार को जब एक हिन्दी दैनिक के संवाददाता ने इसका जायजा लिया तो हजारों की संख्या में नाव और नाविक कतार में थे और श्रद्धालुओं की बाट जोहते नजर आए। बोट क्लब ही नहीं, सरस्वती घाट, वीआईपी घाट, अक्षयवट, मेला मैदान, शंख बेनी सहित अधिकतर घाटों पर यही हालात नजर आए।
दरअसल, महाकुंभ में करीब 10 हजार प्राइवेट और 860 सरकारी नावों का पंजीकरण किया गया था, जिसके माध्यम से श्रद्धालु संगम स्नान कर सकें। मेला प्रशासन की ओर से नावों के लिए शुल्क भी निर्धारित किया गया था, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ का फायदा उठाकर नाविकों ने मनमानी वसूली की।
संगम स्नान के लिए श्रद्धालुओं से प्रति व्यक्ति एक हजार से लेकर पांच हजार तक रुपये वसूले गए, जबकि अधिकतम किराया 150 रुपये तक था। इस दौरान शिकायतों के बाद भी पुलिस और मेला प्रशासन के अधिकारी बेबस और लाचार बने रहे।
नाविकों के लिए निर्धारित दर पर गौर करें तो बलुआ घाट से संगम 150 रुपये, गऊ घाट से संगम 120, इमली घाट से संगम 115, मिटों पार्क घाट से संगम 115, मनकामेश्वर से संगम 115, सरस्वती घाट से संगम 115, किला घाट से संगम 90, अरैल घाट से संगम 75, मेला मैदान से संगम 75, सोमेश्वर घाट से संगम 60, गंगा, यमुना पार से संगम 60, शंख बेनी घाट से संगम 60, रामघाट झूंसी से संगम 55 और राजघाट से संगम 55 रुपये किराया तय किया गया था। 
महाकुंभ के दौरान मेला प्रशासन की ओर से निर्धारित दरों की सूची कुछ स्थानों पर लगाई गई, लेकिन चंद दिनों बाद ही अधिकतर स्थानों से इसे हटा दिया गया। इस संबंध में मेलाधिकारी विजय किरण आनंद का कहना है कि नाविकों की मनमानी संबंधी कई मामलों में कार्रवाई हुई हैं, केस भी दर्ज कराया गया है।

सीन एक : वीआईपी घाट

शुक्रवार को अन्य दिनों की तुलना में श्रद्धालुओं की भीड़ कम थी। प्राइवेट नावों का संचालन बंद था। बावजूद इसके 500 से अधिक वीआईपी सिफारिश कराकर संगम पर स्नान के लिए नाव से आए। पुलिसकर्मियों के लिए स्नान का दिन था, इसलिए एफआरपी मोटर बोट संचालित कर उन्हें स्नान कराया गया। प्राइवेट नाविकों ने यहां नाव का संचालन कतिपय कारणों से बंद कर दिया था। अन्य दिनों की तुलना में यहां बोट के लिए मारामारी नहीं दिखी। मुंबई से आए हरिओम पंवार ने बताया कि वह परिवार के साथ संगम गए थे, लेकिन किसी ने पैसा नहीं लिया। उनके जानने वाले यूपी के एक पुलिस अफसर ने यहां के पुलिस अफसर से बात की थी।

सीन दो : सरस्वती घाट

सरस्वती घाट सेना क्षेत्र में है। यहां तकरीबन 500 नावें खड़ी थीं। प्राइवेट नाविक श्रद्धालुओं के आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन 100 से 150 लोगों ने ही नाव की बुकिंग की। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने बताया कि पुलिस चौकी पर उसकी तैनाती हैं। प्राइवेट नाव वालों ने खूब वसूली की है, लेकिन अब एक दिन बाद ही सीन बदल गया है। शुक्रवार की सुबह नौ बजे से डयूटी है। कम लोग ही आ रहे हैं। जो आ रहे हैं, उन्हें बैठाने के लिए नाविकों में आपस में ही मारामारी मची है। मेले के दौरान एक हजार से लेकर पांच हजार तक वसूली करने वाले नाविक निर्धारित दरों पर संगम जाने को आतुर नजर आए। बहराइच से आई शालिनी ने बताया कि उनके गांव के 11 लोग दस दिन पहले आए थे, उन्होंने 13 हजार में एक नाव की बुकिंग की थी।

सीन तीन: वोट क्लब

छतीसगढ़ बिलासपुर से आए राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि प्राइवेट गाड़ी से आठ लोग आए थे। उनसे 180 रुपये प्रति यात्री नाविक ने किराया लिया। इस दौरान कई अन्य नाविक भी उन्हें संगम ले जाने को बुलाते रहे। जबकि उनके यहां से दस दिन पहले 25 के करीब लोग आए थे, उन्होंने बताया था कि एक हजार रुपये प्रति व्यक्ति वसूले थे। मध्यप्रदेश से आए भीखम ने बताया कि 20 लोगों के साथ वह आए हैं, उनसे 160 रुपये प्रति यात्री लेकर नाविक ने संगम स्नान कराया। वहीं अलीगढ़ से आए रामजीत गुप्ता ने बताया कि वह तीन लोग नाव से संगम जाना चाहते थे, लेकिन नाविक 10 लोगों के आने का इंतजार एक घंटे तक करता रहा।

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